सर्व समाज के हित में संसद में हो सार्थक बहस: मायावती
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की प्रमुख मायावती ने संसद के आज से शुरू हुए मॉनसून सत्र को लेकर सत्तारूढ़ दल और विपक्षी दलों से उम्मीद जताई है कि यह सत्र महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी और भाषा विवाद जैसे जनसरोकार के मुद्दों पर सार्थक बहस के साथ आगे बढ़ेगा।
मायावती ने सोमवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा,
“देशवासियों के लिए यह चिंता का विषय स्वाभाविक है कि संसद का आज से शुरू हो रहा यह बहुप्रतीक्षित सत्र भी कहीं पिछले सत्रों की तरह सिर्फ सत्ता और विपक्ष के बीच टकराव, आरोप-प्रत्यारोप, हंगामा और देश के करोड़ों गरीबों व मेहनतकश बहुजनों की उम्मीदों को तोड़ने वाला न साबित हो। ऐसा न हो कि यह सत्र भी बिना किसी ठोस नतीजे और जनहित की बातों के समाधान के समाप्त हो जाए।”
बसपा सुप्रीमो ने कहा,
“देश आज जबरदस्त महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी, महिलाओं की असुरक्षा और भाषा को लेकर बढ़ते आपसी विवाद व हिंसक टकराव जैसे गंभीर आंतरिक मुद्दों से जूझ रहा है। साथ ही सीमाओं और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मसलों पर भी ध्यान देने की ज़रूरत है। ऐसे हालात में संसद का शांतिपूर्वक और सकारात्मक ढंग से काम करना बहुत जरूरी है, ताकि इन मुद्दों पर ठोस नीतियां और दीर्घकालिक रणनीतियाँ बनाकर देश को सही दिशा में आगे बढ़ाया जा सके। इसमें ही सर्व समाज और बहुजन समाज का हित निहित है।”
बीएसपी सुप्रीमो ने आगे कहा,
इसके अलावा, जिस तेज़ी से वैश्विक राजनीति और आर्थिक हालात करवट ले रहे हैं, उससे भारत सहित दुनिया के तमाम लोकतांत्रिक देशों की संप्रभुता को नए-नए खतरे और चुनौतियाँ मिल रही हैं। इनसे निपटने के लिए केवल सरकार की राजनीतिक सूझबूझ ही नहीं, बल्कि पूरे देश को विश्वास में लेकर सामूहिक रूप से निर्णय लेना ज़रूरी है। अगर सरकार विपक्ष को साथ लेकर चले तो यह ज्यादा बेहतर होगा। दरअसल, सत्ता और विपक्ष दोनों को दलगत राजनीति से ऊपर उठकर इन मुद्दों पर एकजुट होना चाहिए। यही देश के बहुजन वर्ग की अपेक्षा है।”
मायावती ने यह भी कहा कि
“संसद के इस मौजूदा मॉनसून सत्र के दौरान, पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे मामलों पर भी चर्चा होनी चाहिए और सरकार को इस पर सकारात्मक रुख अपनाना चाहिए। क्योंकि देश की सीमाओं और जनता की सुरक्षा अंततः सरकार की जिम्मेदारी होती है। विपक्ष को भी इस पर पार्टी लाइन से ऊपर उठकर सहयोग देना चाहिए। क्योंकि राष्ट्रीय सुरक्षा सभी से ऊपर है और इसमें सरकार और विपक्ष दोनों की साझा भूमिका होनी चाहिए।”

