नए कृषि कानूनों को लेकर किसान संगठनों और सरकार के बीच जारी गतिरोध खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का कहना है कि सरकार कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान संगठनों के साथ वार्ता करने के लिए तैयार है लेकिन अभी तक किसानों ने हमारे इस प्रस्ताव पर कोई जवाब नहीं दिया है ।
वहीं भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत का कहना है कि सरकार जब तक हमारी बात नहीं मानेगी तब तक आंदोलन ऐसे ही चलता रहेगा। उन्होंने खुलकर ये कहा कि सरकार से अभी बातचीत की कोई गुंजाइश नहीं है।
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने एक बैठक में कहा कि उन तीन नए कृषि क़ानूनों में दो क़ानून कृषि सुधार के लिए हैं और आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन किया है। इनसे कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव आने की उम्मीद है।
केंद्रीय कृषि मंत्री ने यह भी कहा कि नए कृषि कानून किसानों की आमदनी बढ़ाएंगे जिससे कृषि क्षेत्र को मजबूती मिलेगी। सरकार ने प्रधानमंत्री किसान निधि (पीएम-किसान) योजना के तहत लगभग 1.75 करोड़ किसानों के बैंक खातों में लगभग 1.15 लाख करोड़ रुपये डाले हैं।
केंद्रीय कृषि मंत्री का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास किसानों की आमदनी बढ़ाने और कृषि क्षेत्र के विकास के लिए लम्बा प्लान है है। क्योंकि हमारी केंद्र सरकार समझती है कि किसानों के बिना अच्छी अर्थव्यवस्था को विकसित नहीं किया जा सकता है। और किसानों की मदद के बगैर देश को आत्मनिर्भर नहीं बनाया जा सकता है हमने पहले भी कहा था कि इन नए कृषि कानूनों से किसानों को फायदा होगा यही बात आज भी हम कह रहे हैं । ये कानून भारतीय किसानों के लिए क्रांतिकारी हैं। केंद्रीय कृषि मंत्री ने एकबार फिर दोहराया कि केंद्र सरकार किसानों के साथ कभी भी बातचीत करने के लिए तैयार है लेकिन आंदोलन कर रहे किसान संगठनों की ओर से सरकार के प्रस्ताव पर अभी तक कोई फीडबैक नहीं आया है।
बता दें कि सरकार और आंदोलन कर रहे किसान नेताओं के बीच अब तक 11 दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन इसका कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका है।