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इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक

इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक अहम आदेश देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी, जिसमें उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के एक स्कूल मैदान में चल रहे रामलीला आयोजन पर प्रतिबंध लगाया गया था। इस मामले की सुनवाई जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस अजय भुइयां और जस्टिस एन. कोटेश्वर सिंह की तीन जजों की बेंच ने की।

रामलीला आयोजन समिति, ‘श्रीनगर रामलीला महोत्सव’ ने हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि यह आयोजन क्षेत्र की सांस्कृतिक और धार्मिक परंपरा से जुड़ा हुआ है और पिछले कई दशकों से नियमित रूप से होता आ रहा है।

सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए आयोजन को सशर्त अनुमति दी। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि रामलीला कार्यक्रम स्कूल के छात्रों की पढ़ाई में किसी भी तरह की बाधा नहीं डालना चाहिए। साथ ही, यह भी माना गया कि, स्कूल का मैदान करीब 100 वर्षों से विभिन्न सांस्कृतिक और सामाजिक आयोजनों के लिए इस्तेमाल होता रहा है।

हालाँकि, सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी साफ किया कि इस आदेश का मतलब यह नहीं है कि भविष्य में हर आयोजन के लिए स्कूल मैदान का बार-बार उपयोग किया जाएगा। अदालत ने कहा कि स्थायी समाधान के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट जिला प्रशासन को निर्देश दे कि रामलीला के आयोजन हेतु कोई वैकल्पिक स्थान चिन्हित किया जाए, ताकि छात्रों का खेल का मैदान केवल उनके शैक्षिक और खेलकूद गतिविधियों के लिए सुरक्षित रह सके।

गौरतलब है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर यह आदेश दिया था। याचिका में आरोप लगाया गया था कि स्कूल के खेल मैदान में सीमेंट की इंटरलॉकिंग टाइलें लगाई गईं ताकि उसे स्थायी रूप से सांस्कृतिक आयोजनों के लिए तैयार किया जा सके। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि इससे स्कूल मैदान का मूल उद्देश्य, यानी छात्रों के खेलकूद और शारीरिक विकास की गतिविधियाँ, प्रभावित हो रही हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल सभी पक्षों को यह भरोसा दिलाया है कि अंतिम निर्णय लेने से पहले उनकी दलीलें सुनी जाएँगी। अदालत ने यह भी कहा कि सांस्कृतिक और शैक्षिक दोनों आवश्यकताओं में संतुलन बनाना ज़रूरी है, ताकि परंपरा भी बनी रहे और विद्यार्थियों का भविष्य भी सुरक्षित रहे।

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