केंद्र द्वारा लाए गए तीन नए कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ किसान पिछले तीन महीने से ज़्यादा से आंदोलन कर रहे हैं किसानों का कहना है कि सरकार इन नए कृषि क़ानूनों को वापस ले जबतक सरकार इन क़ानूनों को वापस नहीं लेगी हम (किसान) आंदोलन करते रहेंगे
बता दें कि नए कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसानों के आंदोलन को ‘गति’ देने के लिए किसान नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait)देश के विभिन्न स्थानों पर जाकर किसान पंचायत कर रहे हैं. किसान आंदोलन का चेहरा बने चुके राकेश टिकैत इस समय पूर्वी यूपी का दौरा कर रहे हैं. एक समाचार एजेंसी से बात करते हुए संयुक्त किसान मोर्चा के नेता टिकैत ने कहा कि किसानों के मुद्दे का हल राजनीति से नहीं, आंदोलन से निकलेगा.
यह पूछने पर कि सरकार का कहना है कि आंदोलन अब किसानों का नहीं रह गया, इसने राजनीतिक रूप ले लिया है, टिकैत ने दो टूक कहा-हमें तो यहां राजनीति वाला कोई नहीं मिला, सब किसान हैं. न ही राजनीति करने वालों का टैंट लगा मिला. इनका काम सिर्फ़ हमारे आंदोलन को खराब करना है आप से मैं कह रहा हूँ कि हम शांति पूर्वक तब तक आंदोलन करेंगे जब तक ये क़ानून रद्द नहीं हो जाते टिकैत ने ये भी कहा कि आज़ादी की लड़ाई भी 90 साल चली थी. तब जाकर कही हमको अंग्रेज़ों से आज़ादी मिली थी इसी तरह हमारा आंदोलन भी आगे चलता रहे और एक न एक दिन हमको ज़रूर कामयाबी मिलेगी
भारतीय न्यूज़ एजेंसी इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार राकेश टिकैत ने कहा कि मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के शेष साढ़े तीन साल रह गए हैं हम किसान तब तक इन तीन कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर रहने के लिए तैयार हैं
बता दें कि इन तीन नए कृषि क़ानूनों पर किसानों का कहना है कि अगर ये क़ानून लागू हो जाते हैं तो इस सीधा असर किसानों की आमदनी पर पड़ेगा और किसान अपनी ज़मीन पर एक मज़दूर की तरह खेती करेगा और कारोबारी लोग किसानों की फसल से फायदा उठाएगे।
ग़ौरतलब है कि सरकार और किसानों के बीच अब तक बातचीत के 11 दौर हुए लेकिन किसी बात पर सहमति नहीं बन पाई है।