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पूरा देश जानता है कि यह राम राज्य नहीं, बल्कि ‘पलटू राम’ का शासन है: शिवसेना

पूरा देश जानता है कि यह राम राज्य नहीं, बल्कि ‘पलटू राम’ का शासन है: शिवसेना

जदयू प्रमुख नीतीश कुमार ने इंडिया गठबंधन को झटका देते हुए भाजपा के साथ मिलकर सरकार बना ली। इसी को लेकर उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना गुट लगातार नीतीश कुमार पर हमलावर है। शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने आरोप लगाया कि भाजपा ने बिहार गठबंधन को तोड़ने की साजिश रची और यह पार्टी लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा है।

इसके साथ ही नीतीश कुमार पर वार करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि उन्हें भूलने की बीमारी हो गई है। एक बार जब वह दवा ले लेंगे, तो उन्हें एहसास होगा कि वह भाजपा में शामिल हो गए हैं और इंडिया गठबंधन में वापस आ जाएंगे। यह बीमारी देश, राजनीति और लोकतंत्र के लिए बहुत खतरनाक है।

छत्रपति संभाजीनगर जिले में संवाददाताओं से शिवसेना नेता ने कहा कि देश राम राज्य नहीं बल्कि ‘पलटू राम’ का शासन देख रहा है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था कि भले ही नीतीश कुमार हाथ जोड़कर बीजेपी के दरवाजे पर आएं, हम उनके साथ गठबंधन नहीं करेंगे। हालांकि, रविवार के घटनाक्रम के बाद देश ‘पलटू राम’ (नीतीश) का शासन देख रहा है, न कि राम राज्य का।

पिछले वर्ष जुलाई में अजित पवार के नेतृत्व में राकांपा का एक गुट राज्य सरकार में शामिल हो गया था। राज्यसभा सदस्य ने कहा, हम राम राज्य में नहीं, बल्कि पलटू राम के शासन में रह रहे हैं। अगर राम राज्य होता तो मनोज जरांगे को (मराठा आरक्षण की मांग के लिए) मुंबई आने की जरूरत नहीं होती।

राउत ने दावा किया कि जनता दल यूनाइटेड (जदयू) प्रमुख नीतीश कुमार के नाम पर ‘इंडिया’गठबंधन में किसी भी प्रमुख पद के लिए कभी चर्चा नहीं हुई। ‘इंडिया’ गठबंधन में (किसी भी पद के लिए) नीतीश कुमार का नाम कभी भी आगे नहीं था। इसके मद्देनजर कि इन दोनों (भाजपा और नीतीश कुमार)की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है, उन्हें राजनीतिक जमीन पर कोई खेल नहीं खेलना चाहिए।

भाजपा के साथ-साथ जद (यू) प्रमुख नीतीश कुमार पर कटाक्ष करते हुए राउत ने कहा, इससे पहले भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भ्रष्टाचार के लिए अजित पवार और प्रफुल्ल पटेल (दोनों राकांपा नेता) की आलोचना की थी। हालांकि, उन्हें 24 घंटे के भीतर महाराष्ट्र गठबंधन (महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना) में शामिल कराया गया।

राउत की यह टिप्पणी जुलाई 2023 के घटनाक्रम से जुड़ी है। अजित पवार के नेतृत्व में ये नेता महाराष्ट्र सरकार में शामिल हुए थे।

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