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सांसदों का निलंबन इतिहास बदलने की साजिश: सोनिया गांधी

सांसदों का निलंबन इतिहास बदलने की साजिश: सोनिया गांधी

संसद परिसर में गांधी प्रतिमा के सामने आज फिर विपक्षी दलों के सांसदों ने विरोध प्रदर्शन किया। 141 विपक्षी सांसदों के निलंबन के विरोध में यह प्रदर्शन किया गया। इस विरोध-प्रदर्शन में कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे राहुल गांधी समेत समेत कई विपक्षी सांसद शामिल हुए।

कांग्रेस पार्लियामेंट्री पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पुराने संसद भवन के सेंट्रल हॉल में कांग्रेस संसदीय दल की बैठक में शिरकत की। इस दौरान उन्होंने वहां मौजूद कांग्रेस सांसदों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि संसद की सुरक्षा में चूक की 13 दिसंबर की घटना अक्षम्य है। इस तरह की घटना को कभी भी उचित नहीं ठहराया जा सकता है।

पीएम मोदी को राष्ट्र को संबोधित करने और घटना पर अपने विचार व्यक्त करने में चार दिन से ज्यादा लग गए हैं। उन्होंने सदन के बजाए संसद के बाहर बयान देना बेहतर समझा। ऐसा करके उन्होंने संसद का तिरस्कार किया है। कांग्रेस संसदीय दल की बैठक में सीपीपी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सदन की गरिमा को लेकर भी बात की।

कांग्रेस संसदीय दल की बैठक में सीपीपी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि इस शीतकालीन सत्र में जम्मू-कश्मीर से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण विधेयक पारित किए गए। ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़ के पेश किया जा रहा है। कई लोगों द्वारा भारत के पहले प्रधानमंत्री और महान देशभक्तों को बदनाम करने के लिए इतिहास के ही साथ छेड़छाड़ की जा रही है, जो पूर्ण रूप से अस्वीकार्य है।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, “वे (बीजेपी) जानबूझ कर सबको निलंबित कर रहे हैं। उनकी मंशा है कि वे (बीजेपी) आपराधिक प्रक्रिया को लेकर जो तीन कानून ला रहे हैं उसपर कोई विरोध न हो। सबको बाहर निकालकर वे तानाशाही करने की कोशिश कर रहे हैं। लोकतंत्र में ऐसा नहीं हो सकता, आज नहीं तो कल उनपर यह भारी पड़ेगा।

कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे मौजूदा गतिरोध पर चर्चा के लिए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को पत्र लिखा। इसके अलावा खड़गे के चेंबर में विपक्षी दलों की एक बैठक भी हुई। विपक्षी सांसदों का कहना है कि संसद से विपक्ष के सांसदों को सस्पेंड कर दिया गया है। यह मोदी सरकार की लोकतंत्र विरोधी सोच दिखाता है। हमारी यही मांग है कि गृह मंत्री को संसद सुरक्षा में हुई चूक के मुद्दे पर दोनों सदनों में बयान देना चाहिए।

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