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गांधी मैदान में ‘सुशासन बाबू’ नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली

गांधी मैदान में ‘सुशासन बाबू’ नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली

बिहार की राजनीति में ‘सुशासन बाबू’ के नाम से मशहूर नीतीश कुमार एक बार फिर मुख्यमंत्री बन गए हैं। 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में सफलता प्राप्त करने के बाद नीतीश कुमार दसवीं बार मुख्यमंत्री बने। नीतीश कुमार ने गुरुवार, 20 नवंबर 2025 को पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में दसवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। चुनाव में एनडीए की शानदार जीत के बाद यह शपथ ग्रहण समारोह एनडीए के लिए शक्ति प्रदर्शन माना जा रहा है।

गांधी मैदान में उनकी मौजूदगी साफ झलक रही थी, जिसकी बदौलत नीतीश कुमार दसवीं बार मुख्यमंत्री बने। बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। शपथ लेते समय नीतीश कुमार ने कहा, “मैं, नीतीश कुमार… ईश्वर के नाम पर शपथ लेता हूँ कि मैं भारत के संविधान पर सच्चा विश्वास और निष्ठा रखूँगा, जैसा कि कानून ने स्थापित किया है। मैं मुख्यमंत्री के रूप में अपने कर्तव्यों को ईमानदारी और अपनी सर्वोत्तम क्षमता से निभाऊँगा और यह कि मैं लोगों के साथ संविधान और कानून के अनुरूप न्याय करूँगा।”

शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री मोदी केंद्रीय शक्ति के रूप में मौजूद 
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केंद्रीय व्यक्तित्व के रूप में प्रमुखता से उपस्थित थे। मंच पर उनकी मौजूदगी राजनीतिक एकता और नेतृत्व के मजबूत संकेत की प्रतीक थी। बिहार के मुख्यमंत्री कुमार और मंत्रियों के शपथ ग्रहण के लिए तैयार किए गए मंच पर दाईं ओर मंत्रियों और वरिष्ठ नेताओं के समूह का नेतृत्व गृहमंत्री अमित शाह कर रहे थे।

इस पंक्ति में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की सहयोगी पार्टियों के नेता, केंद्रीय मंत्री और सभी वरिष्ठ नेता मौजूद थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंच के बिल्कुल बीच में बैठे हुए थे, जिन्हें देखकर कोई भी समझ सकता था कि देश की शक्ति का केंद्र वही हैं। पीएम मोदी के बाईं ओर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बैठे थे, जो यह दर्शाता था कि बिहार का नेतृत्व किसके पास है।

प्रधानमंत्री मोदी के दाईं ओर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधायक दल के नेता सम्राट चौधरी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बाईं ओर भाजपा विधायक दल के उपनेता विजय कुमार सिन्हा बैठे थे। इस क्रम को देखकर आसानी से समझा जा सकता था कि मुख्यमंत्री की कुर्सी भले ही कुमार के पास हो, लेकिन सत्ता के संतुलन के लिए भाजपा ने दोनों ओर दो मजबूत उपमुख्यमंत्री बैठा रखे हैं।

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