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सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को लाड़ली बहन योजना बंद करने की धमकी दी

सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को लाड़ली बहन योजना बंद करने की धमकी दी

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक मामले की सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए हाल ही में लागू की गई ‘लाड़ली बहन योजना’ को बंद करने की धमकी दी है। कोर्ट ने यह धमकी 6 दशक पहले एक व्यक्ति की जमीन पर सरकार के “अवैध कब्जे” और उसके बदले में जंगल की जमीन आवंटित करने के मामले की सुनवाई के दौरान दी।

कोर्ट ने कहा कि अगर महाराष्ट्र सरकार उक्त व्यक्ति को मुआवजे के तौर पर उचित रकम देने का निर्णय नहीं करती है, तो अदालत “लाड़ली बहन” जैसी योजनाओं को बंद कर देगी और अवैध रूप से अधिग्रहित की गई जमीन पर किए गए निर्माण कार्यों को ध्वस्त करने का आदेश जारी करेगी।

शिंदे सरकार को सुप्रीम फटकार
जस्टिस गवई ने महाराष्ट्र की शिंदे सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि “हम आपकी लाड़ली बहन…और लाड़ली बहू (योजनाओं को) बंद करने का निर्देश दे देंगे…अगर मुआवजे की रकम उचित नहीं हुई तो राष्ट्रीय और सार्वजनिक हित में उस जमीन पर किए गए निर्माण को तोड़ने का निर्देश भी देंगे।” अदालत ने कहा कि “इसके साथ ही हम 1963 से अब तक जमीन का अवैध रूप से उपयोग करने पर हर्जाना भी लगाएंगे। इसके बाद अगर आपको वह जमीन अधिग्रहित करनी हो तो नए कानूनों के तहत अधिग्रहित करनी पड़ेगी।”

जस्टिस गवई ने सरकारी वकील को चेतावनी दी कि “उचित रकम की पेशकश के साथ वापस आइएगा। अपने मुख्य सचिव से कहें कि मुख्यमंत्री से बात करें, वरना हम उन सभी योजनाओं को बंद कर देंगे।” अदालत सुनवाई में मुख्य सचिव की उपस्थिति को अनिवार्य करने का इरादा रखती थी, लेकिन सरकारी वकील ने किसी तरह से जजों को ऐसा न करने के लिए राजी किया।

मामला क्या है
दरअसल, याचिकाकर्ता टीएन गोदाबरमन के बुजुर्गों ने 1950 में पुणे में 24 एकड़ जमीन खरीदी थी। राज्य सरकार ने कुछ साल बाद (संभवत: 1963 में) यह जमीन एक सरकारी परियोजना के लिए अधिग्रहित की, लेकिन जमीन के मालिक को कोई मुआवजा नहीं दिया गया।

अदालत के सामने जब मामले की सारी जानकारी प्रस्तुत की गई, तो उसने हैरानी के साथ नाराजगी भी व्यक्त की। जस्टिस गवई ने कहा कि “हम अखबार पढ़ते हैं। हमें सब पता है। आपके पास लाड़ली बहन योजना में मुफ्त में बांटने के लिए पैसे हैं, लेकिन जमीन का मुआवजा देने के लिए पैसे नहीं हैं। हम आपकी यह योजना बंद करवा देंगे।”

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