अभिसार शर्मा की गिरफ्तारी पर चार सप्ताह तक सुप्रीम रोक
सुप्रीम कोर्ट ने पत्रकार अभिसार शर्मा की गिरफ्तारी पर चार हफ्ते की रोक लगा दी है। हालांकि, कोर्ट ने FIR को रद्द करने की शर्मा की याचिका को स्वीकार करने से इंकार कर दिया और उन्हें गुवाहाटी हाई कोर्ट में इस मामले को उठाने का निर्देश दिया। पत्रकार और यूट्यूबर अभिसार शर्मा को असम पुलिस द्वारा दर्ज की गई एक FIR के मामले में अंतरिम गिरफ्तारी से सुरक्षा प्रदान की गई है। यह FIR असम सरकार की नीतियों की आलोचना करने वाले एक वीडियो को लेकर दर्ज की गई थी।
जस्टिस एम.एम. सुंदरेश और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा, “हम आपको सुरक्षा देंगे, लेकिन आप हाई कोर्ट को क्यों दरकिनार कर रहे हैं? हम FIR को चुनौती देने की याचिका पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं। हम याचिकाकर्ता को हाई कोर्ट में जाने के लिए चार सप्ताह की अंतरिम सुरक्षा प्रदान करते हैं।”
FIR गुवाहाटी क्राइम ब्रांच पुलिस स्टेशन में आलोक बरुआ नामक व्यक्ति की शिकायत पर दर्ज की गई थी। शिकायत में आरोप लगाया गया कि शर्मा द्वारा 8 अगस्त को अपने यूट्यूब चैनल पर अपलोड किए गए एक वीडियो से साम्प्रदायिक तनाव और राज्य अधिकारियों के प्रति अविश्वास पैदा हो सकता है। यह वीडियो असम सरकार द्वारा 3,000 बीघा आदिवासी भूमि को निजी कंपनी महाबल सीमेंट को आवंटित करने के फैसले की आलोचना करता था, जिस पर गुवाहाटी हाई कोर्ट में भी सुनवाई हुई थी।
शर्मा ने अपनी याचिका में कहा कि यह FIR “पत्रकारिता स्वतंत्रता और असहमति को दबाने के लिए धारा 152 BNS का दुरुपयोग” है। उन्होंने कहा कि उनका वीडियो असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा के साम्प्रदायिक बयानों पर आधारित था, जो सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध हैं। शर्मा ने यह भी तर्क दिया कि सरकार की नीतियों की आलोचना को देश की एकता और अखंडता पर हमला नहीं माना जा सकता।
शर्मा ने अपने यूट्यूब चैनल, जिसके नौ मिलियन सब्सक्राइबर हैं, पर पोस्ट किए गए वीडियो में असम सरकार की कथित साम्प्रदायिक राजनीति और भूमि आवंटन नीतियों की आलोचना की थी। उन्होंने कहा कि उनकी टिप्पणियां हिंसा या सार्वजनिक अव्यवस्था को भड़काने वाली नहीं थीं, बल्कि यह पत्रकारिता स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के तहत सरकार की जवाबदेही सुनिश्चित करने का प्रयास था।

