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चुनाव के बीच जय श्रीराम नारे के खिलाफ याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज किया

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक याचिका पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता की दरखास्त को खारिज कर दिया , याचिका में कहा गया था कि पश्चिम बंगाल में चुनाव प्रचार के दौरान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और उसके नेताओं “जय श्री राम” का नारा लगाते हैं जिस पर रोक लगाई जाना चाहिए। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करते है याचिका को ख़ारिज कर दिया है

वकील मनोहर लाल शर्मा की इस याचिका में राज्य में चुनाव प्रचार के दौरान जय श्रीराम के नारे लगाए जाने पर भी आपत्ति जताई गई थी. याचिका के मुताबिक इस तरह के नारे लगाना धार्मिक आधार पर वोट मांगना है. सुप्रीम कोर्ट खुद इसके खिलाफ फैसला दे चुका है. .

बता दें कि वकील एम एल शर्मा द्वारा दायर याचिका में पश्चिम बंगाल में चुनाव के दौरान धार्मिक नारों के इस्तेमाल पर एफआईआर दर्ज करने के लिए सीबीआई को निर्देश देने की मांग की गई थी।

याचिका में कानूनी सवाल उठाया गया था कि क्या धार्मिक नारा लगाना जन प्रतिनिधित्व अधिनियम धारा 1951 के “एस 123 (3) और 125 के का उल्लंघन नहीं है ?

इस बात पर दलील देते हुए हुए वकील शर्मा ने कहा कि धार्मिक नारा “जय श्री राम” के मुक़ाबिले में दूसरे धर्म वाले अपना नारा लगा रहे जिससे आपस में नफरत पैदा हो रही है जो आईपीसी और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत अपराध है।

याचिका के दायर होने के बाद चीफ जस्टिस एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने वकील एम एल शर्मा से कहा कि वो इस मामले में कलकत्ता उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएं।

जिस पर वकील एम एल शर्मा ने जवाब दिया कि ये “चुनाव याचिका का मामला नहीं है।” शर्मा ने पीठ से ये भी कहा, “एक पार्टी धार्मिक नारे का इस्तेमाल कर रही है तो मुझे मुझे उच्च न्यायालय में क्यों जाना चाहिए।?

हिन्दुस्तान टाइम्स के अनुसार याचिकाकर्ता ने आग्रह किया कि इस मामले को अब आगे कल बुधवार को सुना जाए, जिस पर तीन न्यायाधीशों की पीठ ने आगे सुनवाई के लिए समय न देकर याचिका को खारिज करते हुए कहा: कि हम आपसे सहमत नहीं हैं।

इस याचिका में पश्चिम बंगाल में आठ चरणों में विधानसभा चुनाव कराने के चुनाव आयोग के फैसले को भी चुनौती दी गई थी और साथ ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और हाल ही में बीजेपी में शामिल हुए शुभेंदु अधिकारी के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग की थी

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