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मथुरा शाही ईदगाह के सर्वे पर सुप्रीम रोक, हाईकोर्ट से मस्जिद पक्ष की याचिका सुनने को कहा

मथुरा शाही ईदगाह के सर्वे पर सुप्रीम रोक, हाईकोर्ट से मस्जिद पक्ष की याचिका सुनने को कहा

उत्तर प्रदेश के मथुरा में शाही मस्जिद के सर्वे के आदेश पर आज सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि हाईकोर्ट याचिकाओं के सुनवाई योग्य होने के खिलाफ मस्जिद पक्ष की याचिका को सुने। कोर्ट ने इस मस्जिद का सर्वे करने के लिए कमिश्नर नियुक्त करने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है।

जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट की ओर से केस से जुड़े सारे मुकदमों को अपने पास सुनवाई के लिए ट्रांसफर करने के आदेश पर सवाल उठाया। कोर्ट ने कहा कि जब मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित था, तब हाईकोर्ट ने अपने पास केस को कैसे ट्रांसफर किया।

इससे पहले, सर्वे से जुड़ा आदेश इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिया था, जबकि शाही ईदगाह कमेटी ने मथुरा की जिला अदालत से सभी मामले हाईकोर्ट ट्रांसफर किए जाने का विरोध किया है। 23 जनवरी, 2024 को अब इस मसले पर अगली सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश को हिंदू पक्ष के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।

याचिका में हिन्दू पक्ष का दावा
हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन के अनुसार हाईकोर्ट में दायर याचिका में दावा किया गया था कि वहां कमल के आकार का एक स्तंभ है जोकि हिंदू मंदिरों की एक विशेषता है और शेषनाग की एक प्रतिकृति है जो हिंदू देवताओं में से एक हैं और जिन्होंने जन्म की रात भगवान कृष्ण की रक्षा की थी।

यह याचिका श्री कृष्ण विराजमान और सात अन्य लोगों द्वारा अधिवक्ता हरिशंकर जैन, विष्णु शंकर जैन, प्रभाष पांडेय और देवकी नंदन के जरिए दायर की गई थी। जिसमें दावा किया गया है कि भगवान कृष्ण की जन्मस्थली उस मस्जिद के नीचे मौजूद है और ऐसे कई संकेत हैं जो यह साबित करते हैं कि वह मस्जिद एक हिंदू मंदिर है।

सुप्रीम कोर्ट का हिन्दू पक्ष की दलीलों पर सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट मामले में मेटनबिल्टी पर सुनवाई कर सकता है, लेकिन कमिश्नर की नियुक्ति को लेकर हाईकोर्ट के जज आगे नहीं बढ़ेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान हिंदू पक्ष की दलीलों पर सवाल उठाते हुए कहा कि आपकी अर्जी बहुत अस्पष्ट है। आपको स्पष्ट रूप से बताना होगा कि आप क्या चाहते हैं। इसके अलावा ट्रांसफर का मामला भी इस न्यायालय में लंबित है. हमें उस पर भी फैसला लेना है।

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