सुब्रमण्यम स्वामी ने मोदी सरकार को बताया विश्वासघाती, राम मंदिर मुद्दे पर घेरा राम मंदिर मुद्दे पर केंद्र की मोदी सरकार को घेर ते हुए भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने एक के बाद एक के ट्वीट किए हैं।
सुब्रमण्यम स्वामी ने मोदी सरकार पर कटाक्ष करते हुए केंद्र सरकार को विश्वासघाती बताया है।
भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि केंद्र सरकार राम मंदिर के लिए अधिग्रहित की गई 67 एकड़ जमीन वापस लेने के लिए सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगा रही है। मोदी सरकार पर तंज कसते हुए सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि यह जमीन तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने विशाल राम मंदिर बनाने के लिए ली थी।
Centre moves SC seeking nod to return 67-acre land in disputed Ayodhya site to original owners!!PVNR had got it nationalised to enable a vishal Ram Temple complex. How do we explain this perfidy of Modi Govt ? Thank Lord Rama for making it fail. https://t.co/o4zIYSbovf
— Subramanian Swamy (@Swamy39) December 26, 2021
केंद्र की मोदी सरकार को विश्वासघाती बताते हुए सुब्रमण्यम स्वामी ने तंज कसा और इस मुहिम के नाकाम रहने पर राम का शुक्रिया अदा किया। स्वामी ने कहा कि अमित शाह ने इस कदम को ऐतिहासिक बताया था। उन्होंने सवाल किया कि हम सरकार के इस विश्वासघात को किस नजरिए से देखें। जनता को सारी चीजों का पता चल चुका है। सुप्रीम कोर्ट में इस जमीन को वापस पाने के लिए ड्राफ्ट एप्लीकेशन नरेंद्र मोदी के करीबी साथी एस गुरूमूर्ति ने तैयार की थी। स्वामी ने इसके लिए सुप्रीम कोर्ट को धन्यवाद किया है।
Move to Return Excess Land in Ayodhya to Owners ‘Historic’: Shah https://t.co/r89FuwGFo9 : Now public knows what we escaped from, thanks to the 5 judges deciding to ignore it. The draft Application was prepared by S Gurumurthy.
— Subramanian Swamy (@Swamy39) December 26, 2021
केंद्र की मोदी सरकार ने 2019 लोकसभा चुनाव से ठीक पहले सुप्रीम कोर्ट में एक आवेदन दायर करते हुए राम जन्मभूमि के आसपास की 67.390 एकड़ भूमि उनके मालिकों को लौटाने की अनुमति मांगी थी। केंद्र सरकार ने अपने आवेदन में कोर्ट के 2003 में दिए गए आदेश में सुधार का अनुरोध किया था। सरकार सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगा रही थी कि वह जमीन को उनके मालिकों को लौटाने की अनुमति दे दे।
6 दिसंबर 1992 से पहले तक अयोध्या में 2.77 एकड़ जमीन के एक हिस्से में बाबरी मस्जिद मौजूद थी जिसे हिंदुत्ववादी कारसेवकों ने गिरा दिया था। केंद्र की तत्कालीन सरकार ने 1993 में 2.77 एकड़ भूमि सहित 67.703 एकड़ जमीन अधिग्रहित की थी। इसमें 42 एकड़ भूमि वह भी थी जिसका स्वामित्व राम जन्म भूमि न्यास के पास था और इस पर कोई विवाद भी नहीं था। 2003 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक आदेश में 67 एकड़ अधिग्रहित भूमि समेत पूरी जमीन के मामले में यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए थे और यह भूमि तभी से सरकार के अधीन थी।