समान नागरिक संहिता लागू करने के सरकार के कदम का कड़ा विरोध
समान नागरिक संहिता को लागू करने की दिशा में सरकार जैसे-जैसे कदम बढ़ा रही है, वैसे-वैसे विधि आयोग द्वारा नागरिकों से राय लेने पर कड़ी आपत्तियां उठानी शुरू हो गई हैं। सवाल उठ रहा है कि 3 साल बाद एक बार फिर इसकी क्या जरूरत है? साथ ही सरकार के इस कदम को असंवैधानिक भी कहा जा रहा है क्योंकि संविधान ने सभी नागरिकों को अपने धार्मिक मामलों में सम्मान के साथ जीवन जीने का अधिकार दिया है।
इस संबंध में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्यों और राष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों के प्रतिनिधिमंडल ने शुक्रवार को 10 बजे अंजुमन इस्लाम सीएसटी में महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले और मुंबई कांग्रेस उपाध्यक्ष मोहम्मद आरिफ नसीम खान से मुलाकात कर इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की।
प्रतिनिधिमंडल में मौलाना महमूद अहमद खान दरियाबादी, डॉ जहीर काजी, अब्दुल हसीब भटकर, मौलाना रूहे जफर, फरीद शेख, सलीम मोटरवाला, शाकिर शेख और मुदस्सिर पटेल आदि शामिल थे। नाना पटोले के साथ एक साक्षात्कार के दौरान, यह खुले तौर पर कहा गया था कि भारतीय मुसलमान ऐसे किसी भी नाजायज़ क़ानून से बहुत चिंतित हैं, जो उनकी धार्मिक पहचान को ख़त्म कर सकते हैं।
यही वजह है कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की कार्यकारिणी परिषद ने फैसला किया कि कोई भी सार्वजनिक आंदोलन शुरू करने के बजाय देश के उन नेताओं और पार्टियों को जो खुद को धर्मनिरपेक्ष होने का दावा करते हैं और मुसलमानों से हमदर्दी जताने का दावा करते हैं, उन्हें जागरूक किया जाना चाहिए।
ताकि वह मुसलमानों की चिंता करें और और अपनी ज़िम्मेदारी का भी एहसास करें,और समान नागरिक संहिता केनुक़सान को समझ सकें। भाग लेने वाले प्रतिनिधिमंडल ने नाना पटोले को समान नागरिक संहिता की ख़राबियों और उसके बाद होने वाली की समस्याओं से अवगत कराया। यह देश एक धर्म, एक संस्कृति या एक भाषा बोलने वालों का नहीं है, बल्कि यहां एक ही धर्म के मानने वालों के बीच संस्कृति और आस्था का अंतर है। मुसलमानों के साथ-साथ अन्य धर्मों, कबीलों और आदिवासियों के भी अपने निजी कानून हैं।
यदि उन सभी को समाप्त कर दिया जाता है और एक धर्म के कानून या विचारधारा को लागू किया जाता है, तो यह देश की एकता के लिए बेहद खतरनाक होगा। इसी तरह इबादतगाहों पर हमले और बड़े पैमाने पर वक्फ संपत्तियों को नष्ट किया जा रहा है। साथ ही वक्फ कानून को खत्म करने की भी बात कही जा रही है, जो मुसलमानों के लिए बेहद दर्दनाक और असहनीय है।
कांग्रेस द्वारा ऐसे कानून का विरोध किया जाएगा
नाना पटोले ने प्रतिनिधिमंडल को सुनने के बाद कहा, “भारत विभिन्न धर्मों, संस्कृतियों और भाषाओं का देश है, इसकी पूरी तरह से रक्षा की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि समान नागरिक संहिता की समीक्षा करने के लिए राज्य कांग्रेस ने अलग-अलग धर्मों के लोगों की राय लेने के लिए एक समिति बनाई है जो जल्द ही अपनी रिपोर्ट देगी। महाराष्ट्र कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने आगे कहा,” अगर मोदी सरकार कोई ऐसा कानून लाती है जो देश के लोकतंत्र को ख़त्म कर सकता है तो कांग्रेस इसका पुरजोर विरोध करेगी।