आंध्र प्रदेश के वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में भगदड़ से 10 श्रद्धालुओं की मौत
आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले के कस्सीबुग्गा स्थित श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में भक्ति का दिन श्रद्धालुओं के लिए एक भयानक हादसे में बदल गया, जहां मची भगदड़ में कम से कम 10 लोगों की मौत हो गई। मृतकों में महिलाएं और एक 13 साल का बच्चा भी शामिल है। पुलिस ने मंदिर के मालिक के खिलाफ ‘culpable homicide’ यानी गैर-इरादतन हत्या का केस दर्ज किया है।
श्रीकाकुलम के एसपी के.वी. महेश्वर रेड्डी ने बताया, ‘यह पारंपरिक भगदड़ नहीं थी। भीड़ में अचानक रेलिंग टूटने से लोग घबरा गए और भागने लगे। इस दौरान कई लोग दीवार से गिर गए और कुचलकर मर गए।
वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में तड़के से ही श्रद्धालुओं की भीड़ जुटने लगी थी। कुछ ही घंटों में मंदिर में हजारों लोग पहुंच चुके थे। मंदिर के सकरे प्रवेश द्वार से ही बाहर आने और अंदर जाने का रास्ता था। भीड़ जिस तेजी से बढ़ रही थी, भक्त उस स्पीड से बाहर नहीं निकल जा रहे थे। 11 बजे तक मंदिर में वह हाल हुआ कि सिर्फ भीड़ ही नजर आ रही थी। जन सैलाब से उमड़ आया था। अचानक रेलिंग टूटी और श्रद्धालु नीचे गिरने लगे। लोग जान बचाने को भागे और भगदड़ मच गई।
अधिकारियों का मानना है कि भीड़ प्रबंधन में लापरवाही, सुरक्षा योजना का अभाव, चल रहा निर्माण कार्य और आधिकारिक मंज़ूरी का अभाव, ये सब मिलकर इस त्रासदी का कारण बने।
मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने कहा कि यह हादसा पूरी तरह आयोजकों की लापरवाही का नतीजा है। नायडू ने कहा, ‘यह बेहद दर्दनाक है कि निर्दोष लोगों की जान चली गई। यह मंदिर एक निजी व्यक्ति ने बनवाया था और कार्तिक एकादशी के मौके पर बड़ी संख्या में लोग पहुंचे। लेकिन आयोजकों ने न तो पुलिस को बताया और न ही प्रशासन को सूचना दी। अगर उन्होंने बताया होता तो पुलिस बल तैनात कर भीड़ को नियंत्रित किया जा सकता था। घटना पर मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने दुख व्यक्त किया है और इसे दिल दहला देने वाली घटना बताया है। सीएम नायडू ने पीड़ितों को हर संभव मदद मिलेगी और कठिन समय में पीड़ित परिवारों के साथ खड़े हैं।
मंदिर में मची भगदड़ की 10 बातें
अधिकारियों ने कहा कि यह मंदिर निजी प्रबंधन के अधीन था और राज्य के एंडोमेंट्स विभाग (धार्मिक संस्थान विभाग) में रजिस्टर्ड नहीं था।
मंदिर प्रबंधन ने कार्तिक एकादशी पर कार्यक्रम आयोजित करने से पहले किसी तरह की सरकारी अनुमति नहीं ली और सुरक्षा स्वीकृति भी नहीं ली।
जांच में यह भी सामने आया है कि आयोजकों ने कार्तिक एकादशी के अवसर पर होने वाली विशाल भीड़ के बारे में जिला प्रशासन को सूचित नहीं किया था, जबकि इस दिन आमतौर पर हजारों श्रद्धालु मंदिर में इकट्ठा होते हैं।
मंदिर में जिस जगह पर श्रद्धालु इकट्ठा हुए थे, वह क्षेत्र अभी भी निर्माणाधीन था. जिससे वहां भीड़ के लिए सुरक्षित माहौल नहीं था। निर्माण कार्य जारी रहने के बावजूद मंदिर प्रशासन ने श्रद्धालुओं को परिसर में प्रवेश की अनुमति दी।
आमतौर पर हर शनिवार को चिन्ना तिरुपति मंदिर में करीब 10 से 15 हजार श्रद्धालु पूजा करने पहुंचते हैं, लेकिन इस शनिवार को एकादशी होने के कारण करीब 25 हजार श्रद्धालु मंदिर पहुंचे।
चश्मदीदों ने बताया कि मंदिर में भगदड़ उस समय शुरू हुई जब महिलाएं प्रवेश के लिए लगी कतार में आगे बढ़ने की कोशिश कर रही थीं।
भीड़ के दबाव में लगाए गए बैरिकेड टूट गए। इससे कई लोग एक-दूसरे पर गिर पड़े। इसके बाद भगदड़ मच गई और मंदिर के संकरे रास्ते लोगों के लिए और भयानक हो गए।
इस भयानक हादसे के सबसे बड़ा कारणों में से एक था कि मंदिर में प्रवेश और निकास का रास्ता एक होना। जैसे ही लोग मंदिर से बाहर निकलने की कोशिश करने लगे, वैसे ही अफरातफरी बढ़ती चली गई।
इस दौरान जो लोग अपने परिजनों को बचाने की कोशिश कर रहे थे, वे खुद भी भीड़ में फंस गए। एकमात्र प्रवेश और निकासी-द्वार होने की स्थिति ने हादसे को और भयावह बना दिया. इससे राहत और बचाव कार्य और ज्यादा मुश्किल हो गया।
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने मंदिर में भगदड़ के दौरान लोगों की हुई मौत पर शोक जताया है। उन्होंने काशीबुगा स्थित मंदिर में हुए इस घटना को बेहद हृदयविदारक कहा।

