तमिल सुपर स्टार विजय की रैली में भगदड़: 39 की मौत, 51 लोग ICU में भर्ती
तमिलनाडु के करूर में शनिवार को अभिनेता और उभरते नेता विजय की रैली एक बड़े हादसे में बदल गई। मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन के अनुसार, भगदड़ में 39 लोगों की मौत हो गई जिनमें 16 महिलाएं और 10 बच्चे शामिल थे, जबकि 51 लोग ICU में भर्ती हैं। मृतकों की संख्या और बढ़ने की आशंका है।
तमिलनाडु पुलिस ने बताया कि रैली के लिए 10 हजार लोगों की अनुमति थी, लेकिन 1.20 लाख वर्ग फीट के मैदान में करीब 60 हजार से अधिक लोग उमड़ पड़े। भीड़ के बीच विजय लगभग 6 घंटे की देरी से पहुंचे। इसी दौरान मंच से घोषणा हुई कि 9 वर्षीय बच्ची लापता है और विजय ने अपील की कि उसे खोजा जाए। अचानक लोग इधर-उधर भागने लगे और भगदड़ मच गई। धक्का-मुक्की, गर्मी और ऑक्सीजन की कमी से कई लोग गिर पड़े, जबकि छोटे बच्चे भीड़ में दबकर दम तोड़ बैठे।
स्थानीय प्रशासन के अनुसार, भीड़ नियंत्रण के लिए न पर्याप्त पुलिस मौजूद थी, न ही वॉलंटियर्स। अनुमान था कि 30 हजार लोग आएंगे, लेकिन दोगुनी भीड़ पहुंची। आयोजन स्थल पर न तो पीने का पानी था, न पर्याप्त प्राथमिक चिकित्सा। विजय के मंच के पास सुरक्षा का अभाव भी हादसे का बड़ा कारण माना जा रहा है।
हादसे के तुरंत बाद मुख्यमंत्री स्टालिन ने उच्चस्तरीय बैठक बुलाई और देर रात करूर पहुंचे। उन्होंने अस्पताल जाकर घायलों से मुलाकात की और मृतकों को श्रद्धांजलि दी। स्टालिन ने पीड़ित परिवारों को 10-10 लाख रुपये और घायलों को 1 लाख रुपये मुआवजा देने की घोषणा की। साथ ही, न्यायमूर्ति अरुणा जगदीसन की अध्यक्षता में जांच आयोग गठित कर दिया गया। गृह मंत्रालय ने भी राज्य सरकार से रिपोर्ट तलब की है।
घटना के बाद विजय सीधे चार्टर्ड फ्लाइट से चेन्नई लौट गए। न वे घायलों से मिले और न सार्वजनिक तौर पर सांत्वना दी। हालांकि, उन्होंने सोशल मीडिया मंच ‘X’ पर लिखा कि उनका दिल टूट गया है और उन्होंने मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए घायलों के जल्द स्वस्थ होने की प्रार्थना की।
विजय की रैलियों में भीड़ प्रबंधन का संकट नया नहीं है। शनिवार सुबह नमक्कल में आयोजित सभा में भी वे छह घंटे देरी से पहुंचे थे। धूप और इंतजार से बेहाल लोग बेहोश होने लगे, कई घायल हुए और महिलाओं के पैर टूटे। बावजूद इसके, आयोजकों ने भीड़ को संभालने के पर्याप्त इंतज़ाम नहीं किए।
दरअसल, विजय ने फरवरी 2024 में अपनी पार्टी ‘तमिऴगा वेतत्रि कळगम’ (TVK) बनाई और 2026 विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान किया। वे इन रैलियों के जरिए खुद को राज्य की सत्तारूढ़ डीएमके के बड़े विरोधी के रूप में पेश कर रहे हैं। लेकिन करूर हादसे ने उनकी राजनीतिक यात्रा को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है। आलोचकों का कहना है कि विजय और आयोजक भीड़ प्रबंधन में नाकाम रहे, वहीं समर्थकों का मानना है कि यह उनकी बढ़ती लोकप्रियता का संकेत है।
अब जांच आयोग पर सबकी निगाहें हैं, जो यह तय करेगा कि करूर की यह त्रासदी लापरवाही का नतीजा थी या अनियंत्रित जनसमर्थन का। फिलहाल, राज्य में शोक और गुस्से का माहौल है और लोग पूछ रहे हैं कि क्या राजनीति की रैलियों की कीमत हमेशा आम जनता की जान से चुकानी होगी।

