सपा नेता और पूर्व मंत्री आज़म ख़ान को इलाहाबाद हाईकोर्ट से मिली ज़मानत
समाजवादी पार्टी (सपा) के कद्दावर नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री मोहम्मद आज़म ख़ान को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। रामपुर के चर्चित क्वालिटी बार कब्जा मामले में हाईकोर्ट ने उनकी जमानत याचिका मंजूर कर ली है। यह मुकदमा 2021 में राजस्व निरीक्षक की तरफ से दर्ज कराया गया था। इसके साथ ही आजम को लगभग सभी मुकदमों में जमानत मिल गई है। अब वह जल्द बाहर आ सकते हैं।
जस्टिस समीर जैन की सिंगल बेंच ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद यह फैसला सुनाया। ज़मानत मंजूर होने और आज़म ख़ान के जेल से बाहर आने से नई सियासी हलचल देखने को मिल सकती है, खासकर रामपुर और पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सियासत में। आज़म ख़ान ने इससे पहले रामपुर के एमपी-एमएलए कोर्ट में ज़मानत अर्जी लगाई थी, लेकिन अदालत ने 17 मई 2025 को उनकी याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
इस मामले में आज़म ख़ान की ओर से वकील इमरान उल्ला और मोहम्मद खालिद ने जिरह की। अभियोजन पक्ष ने आरोपों को गंभीर बताते हुए ज़मानत का विरोध किया। हालांकि दोनों पक्षों की बहस पूरी होने के बाद हाईकोर्ट ने 21 अगस्त को फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसे अब सुनाते हुए ज़मानत मंजूर कर दी गई।
आज़म ख़ान के वकील और इलाहाबाद हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता इमरान उल्लाह ने बताया कि इस मुकदमे में ज़मानत मिलने के बाद पूर्व मंत्री आज़म ख़ान के जेल से बाहर आने की संभावना बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि आज़म ख़ान को को लगभग सभी मुकदमो में राहत मिल चुकी है। संभावना है कि वह शीघ्र जेल से रिहा हो सकते हैं।
क्या था मामला?
यह मामला वर्ष 2008 का है, जब पुलिस द्वारा उनकी कार से हूटर हटाने के बाद आज़म ख़ान ने छजलेट पुलिस स्टेशन के पास कथित तौर पर हंगामा किया था। उन्होंने अपने समर्थकों के साथ मिलकर सड़क जाम कर दी थी जिससे यातायात जाम हो गया था। प्रदर्शन हिंसक हो गया और कुछ बिजली के खंभे क्षतिग्रस्त हो गए, जिसके बाद उनके के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। बाद में पुलिस ने आरोप पत्र दाखिल किया और मामला सुनवाई के लिए गया।
कई अदालती आदेशों के बावजूद, आज़म ख़ानअदालत में पेश नहीं हुए और मुकदमा समाप्त होने से पहले कई वर्षों तक आत्मसमर्पण करने से बचते रहे। नकवी ने बताया कि खान अब भी सीतापुर जेल में बंद हैं, लेकिन एमपी-एमएलए अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने और रिकॉर्ड में मौजूद सबूतों की समीक्षा के बाद उन्हें सभी आरोपों से बरी कर दिया।

