गुजरात में सरेआम मुस्लिम युवकों को पीटने वाले पुलिसकर्मियों का एसपी ने किया बचाव
खेड़ा जिले के पुलिस अधीक्षक राजेश कुमार गढ़िया ने गुजरात उच्च न्यायालय में एक हलफनामा दायर कर कहा है कि 13अक्टूबर 2022 में ओंधिला गांव में पुलिस कर्मियों द्वारा मुस्लिम युवकों की सरेआम पिटाई जायज थी। द इंडियन एक्सप्रेस ने एसपी के हलफनामे का हवाला देते हुए लिखा है कि केवल शांति और सद्भाव बनाए रखने के उद्देश्य से संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया था।
मालूम होना चाहिए कि 13अक्टूबर 2022 को खेड़ा ज़िले के एक गांव में मस्जिद के निकट कार्यक्रम के विरोध के बाद, हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच झड़प हुई थी। इस घटना से जुड़े एक वीडियो में देखा जा सकता है कि कुछ पुलिसकर्मी मुस्लिम युवकों को खंभे से बांधकर लाठी से पीटते नजर आ रहे हैं। सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में सादे कपड़ों में पिटाई करते दिख रहे लोगों की पहचान खेड़ा जिले की लोकल क्राइम ब्रांच पुलिस के अहलकारों के रूप में हुई है।
इंडियन एक्सप्रेस, की रिपोर्ट के अनुसार एसपी ने पुलिस कर्मियों की इस कार्रवाई का बचाव किया है, पुलिस उपाधीक्षक द्वारा एक अंतरिम रिपोर्ट में कहा गया है कि यह माना गया कि जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों को अभियुक्तों को सुरक्षित स्थान पर ले जाने के लिए अन्य साधनों का उपयोग करने की आवश्यकता थी। अक्टूबर में हुई इस घटना के बाद पीड़ित जहीर मियां मलिक (62), मकसूद मलिक (45), शाहिद मियां मलिक (23), शकील मियां मलिक (24) और शहीद राजा मलिक (25) ने 15 पुलिसकर्मियों के खिलाफ गुजरात हाई कोर्ट में शिकायत दर्ज कराई थी.
गुजरात उच्च न्यायालय इस मामले की सुनवाई कर रहा है। इन पुलिसकर्मियों में पुलिस महानिरीक्षक (आईजी-अहमदाबाद रेंज), खेड़ा पुलिस अधीक्षक (एसपी), मुटर पुलिस स्टेशन के 10 कांस्टेबल और स्थानीय अपराध शाखा (एलसीबी) के 3 कांस्टेबल शामिल हैं। पुलिस अधिकारियों पर इन दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने का आरोप लगाते हुए, याचिकाकर्ताओं ने पुलिस अधिकारियों के खिलाफ अदालत की अवमानना का मुकदमा दायर किया है और मुआवजे की भी मांग की है। इसके तुरंत बाद, गुजरात के गृह मंत्री हर्ष सिंघवी ने पुलिसकर्मियों की सराहना करते हुए इसे सही क़दम बताया था।