वोट फीसदी के बारे में गुमराह करने वाले कुछ नैरेटिव फैलाए गए: चुनाव आयोग
नई दिल्ली: चुनाव आयोग ने शनिवार को पिछले पांच फेज में हुए चुनाव के संबंध में फाइनल डेटा पेश किया। पिछले पांच चरण में हुए चुनाव में किन लोकसभा क्षेत्र में कितने फीसदी लोगों ने वोट डाले उसका डेटा जारी किया गया है। इस दौरान चुनाव आयोग ने कहा कि वोट फीसदी के बारे में गुमराह करने वाले कुछ नैरेटिव फैलाए गए हैं। चुनाव आयोग ने प्रेस रिलीज जारी कर कहा है कि वोट पोलिंग फीसदी (नंबर) में किसी भी तरह से कोई भी बदलाव संभव नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता एडीआर की उस अर्जी पर निर्देश देने से इनकार कर दिया था जिसमें याचिकाकर्ता ने कहा था कि चुनाव में हुई वोटिंग का फाइनल डाटा पब्लिक किया जाए और पोलिंग स्टेशन वाइज डेटा को पब्लिक किया जाए। सुप्रीम कोर्ट के शुक्रवार के आदेश के एक दिन बाद शनिवार को चुनाव आयोग ने पिछले पांच फेज के चुनाव का लोकसभा क्षेत्रवार डेटा रिलीज किया।
लोकसभा चुनाव के छठे चरण के लिए शनिवार (25 मई) को देश की 57 सीटों पर वोटिंग ख़त्म हो गई है। इस बीच चुनाव आयोग ने पिछले पांच फेज में हुए चुनाव का फाइनल डेटा जारी किया है। इसमें यह बताया गया है कि इन पांचों फेज में किस लोकसभा क्षेत्र में कितने फीसदी लोगों ने वोट डाला है। इस दौरान चुनाव आयोग की ओर से यह भी कहा गया कि वोट फीसदी को लेकर कुछ गलत नैरेटिव भी फैलाए गए हैं।
चुनाव आयोग ने कहा कि चुनावी प्रक्रिया को खराब करने के उद्देश्य से इस तरह के गलत नैरेटिव फैलाए जाते हैं। ईसीआई के मताबिक मतदान का डेटा हर चरण के चुनाव के दिन सुबह 9:30 बजे से उनके ऐप के माध्यम से उपलब्ध होता है। चुनाव आयोग ने प्रेस रिलीज जारी कर वोट पोलिंग फीसद में किसी भी तरह से बदलाव होने से इनकार किया।
आयोग ने कहा कि उसने फैसला किया है कि वह वोटिंग फीसदी के डेटा को और व्यापक तौर पर पब्लिक किया जाएगा और इस तरह चुनाव आयोग ने पिछले पांच फेज के वोटिंग का डेटा लोकसभा क्षेत्रवार जारी करने का फैसला किया है। इसके तहत प्रत्येक लोकसभा क्षेत्र जहां पांच फेज में चुनाव हुए हैं उसमें कुल जितनी वोटिंग हुई है उसका नंबर और उसका फीसदी सार्वजनिक कर दिया है।
चुनाव आयोग ने कहा है कि प्रक्रिया बेहद पारदर्शी है और इसमें कोई भी विषमताएं नहीं है। सभी कैंडिडेट के अथॉराइज्ड एजेंट को पोलिंग बूथ वाइज 17सी फॉर्म दिया जा रहा है। देश भर में कुल 10.5 लाख पोलिंग स्टेशन है। फॉर्म 17 सी में जो वोटिंग का नंबर है वह किसी भी हाल में नहीं बदल सकता है और यह डेटा कैंडिडेट के पास होता है। कैंडिडेट और उनके एजेंट को यह फॉर्म 17 सी मतगणना केंद्र पर ले जाने की इजाजत होती है।