बलात्कार के आरोप में शफीक अंसारी का घर गिराया गया था, लेकिन अदालत से बाइज़्ज़त बरी
मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले में पूर्व पार्षद शफीक अंसारी को अदालत ने बलात्कार के आरोप से बाइज़्ज़त बरी कर दिया है। अदालत ने पाया कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप झूठे थे और यह शिकायत एक साजिश के तहत दर्ज कराई गई थी। हालांकि, इस मामले के दर्ज होने के कुछ ही दिनों बाद प्रशासन ने उनका मकान गिरा दिया था, जिस पर अब वे कानूनी कार्रवाई करने का इरादा रखते हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, शफीक अंसारी राजगढ़ की सारंगपुर नगर पालिका के पार्षद थे। स्थानीय नागरिकों ने एक महिला के घर में नशीले पदार्थों के अवैध कारोबार की शिकायत की थी, जिस पर शफीक अंसारी ने भी कार्रवाई की मांग की थी। इस शिकायत के बाद प्रशासन ने महिला के घर को अतिक्रमण बताते हुए गिरा दिया। कुछ ही दिनों बाद महिला ने शफीक अंसारी पर बलात्कार का आरोप लगा दिया।
महिला का कहना था कि 4 फरवरी 2021 को शफीक अंसारी ने उन्हें बेटे की शादी में मदद का वादा करके घर बुलाया और उनके साथ दुर्व्यवहार किया। हालांकि, इस घटना की एफआईआर 4 मार्च 2021 को दर्ज कराई गई थी। रिपोर्ट दर्ज होने के 10 दिन बाद यानी 13 मार्च 2021 को प्रशासन ने शफीक अंसारी का मकान भी अतिक्रमण के नाम पर तोड़ दिया।
राजगढ़ के प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश छत्रेंद्रसिंह सोलंकी ने 14 फरवरी 2025 को शफीक अंसारी को बरी कर दिया। अदालत ने पाया कि पीड़िता और उसके पति के बयान में विरोधाभास था। अदालत ने यह भी कहा कि महिला ने बलात्कार की शिकायत दर्ज कराने में अनावश्यक देरी की, जो मामले को संदिग्ध बनाती है।
अदालत के अनुसार, महिला ने अपने बेटे की शादी के बाद भी 15 दिन तक इस घटना का जिक्र अपने पति या बेटों से नहीं किया और इस देरी की कोई स्पष्ट वजह नहीं बताई। इसके अलावा, मेडिकल और वैज्ञानिक सबूत भी बलात्कार के आरोपों की पुष्टि नहीं करते। शफीक अंसारी ने अपनी बेगुनाही साबित होने के बाद कहा कि उन्हें निशाना बनाया गया क्योंकि उन्होंने इलाके में अवैध नशीले पदार्थों के कारोबार के खिलाफ आवाज उठाई थी। महिला ने बदला लेने के लिए उनके खिलाफ झूठी शिकायत दर्ज कराई थी।
उन्होंने आगे कहा कि उनके 4000 वर्ग फुट के मकान को बिना नोटिस दिए गिरा दिया गया। उन्हें अपना बचाव करने का मौका भी नहीं दिया गया। अब वे न्याय के लिए अदालत जाएंगे और अपने तबाह किए गए मकान के मुआवजे की मांग करेंगे।अब जब अदालत ने शफीक अंसारी को बरी कर दिया है, वे अपने गिराए गए मकान के मुआवजे के लिए कानूनी कार्रवाई की तैयारी कर रहे हैं। उनका कहना है कि इस मामले में प्रशासन की कार्रवाई अनुचित थी और वे इसे अदालत में चुनौती देंगे।