सरना को मिले धर्म के रूप में मान्यता, सनातन से एकदम अलग
राज्यसभा सांसद के रूप में देश के उच्च सदन में पहुंची झारखंड मुक्ति मोर्चा की महुआ माजी ने कहा कि सरना को देश के आदिवासियों के धर्म के रूप में मान्यता देने की लंबे समय से चली आ रही मांग को केंद्र सरकार को स्वीकार करना चाहिए।
झारखंड मुक्ति मोर्चा की नवनिर्वाची सांसद महुआ माजी ने कहा कि सरना को आदवासियों के धर्म के रूप में मान्यता दी जानी चाहिए क्योंकि उनकी पूजा और धार्मिक प्रथाओं का अपना तरीका है।
मानसून सत्र के पहले दिन उच्च सदन में संसद सदस्य के रूप में शपथ लेने वाली महुआ माजी ने कहा कि वह सरना धर्म कोड को मान्यता देने को लेकर सरकार पर दबाव भी बनाएंगी और अपने राज्य के लोगों की आवाज उठाने के लिए इस मंच का उपयोग करेंगी।
महुआ माजी ने आधिवासियों की धार्मिक प्रथाओं को सनातन या किसी अन्य धर्म से बहुत अलग बताते हुए कहा कि यह हमारी पार्टी की लंबे समय से लंबित मांग है। माजी ने कहा कि देश के आदिवासियों की अपनी पूजा और धार्मिक प्रथाएं हैं जो सनातन (हिंदू) या किसी अन्य धर्म से बहुत अलग हैं। हम लंबे समय से यह मनाग करते आ रहे हैं, अभी तक सरकार ने इस मामले को स्वीकार नहीं किया है।
महुआ माजी ने कहा, हर समाज का अपना स्वाभिमान होता है और उन्हें लगता है कि उन्हें वैसे ही रहने दिया जाना चाहिए जैसे वे हैं। उन्होंने कहा, आदिवासी प्रकृति की पूजा करते हैं और किसी का धर्म उन पर क्यों थोपा जाए।