पिछले लगभग तीन महीने से दिल्ली की सीमाओं पर धरना दे रहे किसानों को देश के हर वर्ग के साथ साथ संत समाज का भी साथ मिल रहा है
काशी सुमेरू पीठ के शंकराचार्य स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती ने सोमवार को कई प्रमुख संतों के साथ गाजीपुर बॉर्डर पर पहुंचकर किसानों के आंदोलन को अपना समर्थन दिया।
शुरू में तीन महीने पंजाब में आंदोलन के बाद पिछले 77 दिन से दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे देश भर के किसानों के बीच पहुंचे सुमेरू पीठ के शंकराचार्य स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि केंद्र सरकार को इस मामले का तत्काल हल निकालना चाहिए क्योंकि देश का अन्नदाता सड़कों पर रहे, यह स्थिति देश के लिए उचित नहीं है।
वहीँ रक्षा मंत्री के मुक़ाबले चुनाव लड़ चुके कल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा कि अगर केंद्र सरकार जल्द ही इस मामले का कोई हल नहीं निकालती है तो कुंभ मेले के दौरान किसानों के समर्थन में देश का संत समाज आंदोलन करने का भी निर्णय ले सकता है। आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा कि भाजपा के कुछ नेता किसानों को खालिस्तानी और पाकिस्तानी बता रहे हैं। वहीं, देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन्हीं किसानों से बातचीत करने की बात कह रहे हैं। इसलिए प्रधानमंत्री को सबसे पहले यह बताना चाहिए कि वह यह बातचीत किससे करना चाहते हैं- किसानों से या खालिस्तानियों से।
उन्होंने कहा कि देश पर आने वाले किसी भी संकट के समय संत समाज सक्रिय भूमिका निभाता रहा है। आज देश के किसानों पर बड़ा संकट आ गया है जिस पर संत समाज मौन नहीं रह सकता। इसी भाजपा सरकार ने हजारों पुराने कानून निरस्त करने का काम किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसे अपने सरकार की उपलब्धि के तौर पर बताते रहे हैं। ऐसे में उन्हें बताना चाहिए कि वे तीनों विवादित कृषि कानूनों को वापस क्यों नहीं ले रहे हैं। विशेषकर ऐसी स्थिति में जब देश का किसान स्वयं इस कानून को नहीं लागू करने के लिए चार महीने से लगातार सड़कों पर संघर्ष कर रहा है।
संतों ने सोमवार को गाजीपुर बॉर्डर पर किसान नेता राकेश टिकैत को सम्मानित किया। उन्हें गदा देकर आंदोलन में मजबूती के साथ लड़ने का भी संकेत दिया। इस अवसर पर स्वामी नवीनानंद ने प्रस्तावना पढ़ी और योगी राकेशनाथ ने मांग पत्र पढ़कर केंद्र को संदेश दिया।