भाजपा पर संजय राउत का पलटवार, बोले- अपने नेताओं से करे सवाल
एक बार फिर शिवसेना सांसद संजय राउत ने बाबरी मस्जिद विध्वंस को लेकर भाजपा पर पलटवार करते हुए कहा है कि अयोध्या में राम जन्मभूमि को लेकर शिवसेना पार्टी की भूमिका के बारे में भाजपा को अपने नेताओं से सवाल करना चाहिए।
शिवसेना सांसद संजय राउत का यह पलटवार भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस की टिप्पणी पर है जिसमें उन्होंने कहा था कि अयोध्या में बाबरी मस्जिद को विध्वंस करते समय शिवसेना का कोई नेता मौजूद नहीं था।
शिवसेना सांसद राउत ने भाजपा और राज ठाकरे पर निशाना साधते हुए कहा है कि आप और आपके “सहयोगी” बेरोजगारी, महंगाई और चीनी घुसपैठ जैसे मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए हनुमान चालीसा, लाउड स्पीकर और राम मंदिर जैसे चीज़ों को ऊपर उठाने की कोशिश कर रही है।
संजय राउत ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा, “अगर कोई कहता है कि बाबरी मस्जिद गिराए जाने के समय शिवसेना कहां थे, (तो) उन्हें अपनी पार्टी के नेता सुंदर सिंह भंडारी से प्रश्न करना चाहिए कि शिवसेना कहां थी?
राउत ने साथ ये भी कहा कि उस समय की सीबीआई और आईबी रिपोर्ट की जांच करें। साथ ही राज्यसभा सदस्य राउत ने ये भी कहा कि जिनके पास जानकारी नहीं है और जो सवाल करते हैं कि शिवसेना कहां थी, तो उन्हें इसका जवाब मिलेगा। स्थिति बदल गई है, इसलिए मुद्दे भी बदले जा रहे हैं। लेकिन अब लोग जिन मुद्दों को उठाया जा रहा है उसपे ध्यान नहीं देंगे।”
आपको बता दें कि हिंदुत्व के मुद्दे लेकर शिवसेना पर पलटवार करते हुए फडणवीस ने रविवार को कहा था कि जब बाबरी ढांचा गिराया गया था, वह अयोध्या में उपस्थित थे।
साथ ही ये भी उन्होंने दावा किया था कि उस समय शिवसेना का कोई नेता अयोध्या में मौजूद नहीं था।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गुज़रे हुए रविवार को महाराष्ट्र के औरंगाबाद में एक रैली को संबोधित करते हुए मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे ने कहा था कि वह मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाने के लिए तीन मई की समय सीमा पर अटल हैं और अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो सभी हिंदू मुस्लिम धार्मिक स्थलों के बाहर हनुमान चालीसा बजायें।
राज ठाकरे के इस बयां पर प्रतिक्रिया देते हुए संजय राउत ने कहा कि लाउडस्पीकर कोई मुद्दा नहीं है और शहर में कई और अहम मुद्दे हैं। उन्होंने कहा, “लोग जानते हैं कि इन लाउडस्पीकर को बिजली कौन मुहैया करा रहा है। यह हिंदुत्व नहीं है।” राउत ने कहा कि लाउडस्पीकर का मामला कानून विभाग के तहत आता है।