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धर्मांतरण के आरोप में तीन साल से जेल में बंद साजिद भाई पटेल को मिली जमानत

धर्मांतरण के आरोप में तीन साल से जेल में बंद साजिद भाई पटेल को मिली जमानत

गुजरात में धर्म परिवर्तन से जुड़े एक मामले में पिछले तीन साल से जेल की सलाखों के पीछे कैद की जिंदगी बिता रहे युवा धर्मगुरु साजिद भाई पटेल को सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय पीठ ने जमानत दे दी है। हालांकि सरकार ने इस जमानत का कड़ा विरोध किया था। मौलाना साजिद पटेल को यह जमानत सोमवार को मिली। यह जानकारी जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करके दी है।

प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, अदालत ने आरोपी को लंबी कैद और मुकदमे की सुनवाई में हुई देरी के आधार पर सशर्त जमानत पर रिहा करने का आदेश जारी किया, हालांकि सरकारी वकील ने आरोपी को जमानत पर रिहा किए जाने का कड़े शब्दों में विरोध किया था। जमीयत उलेमा-ए-हिंद की कानूनी सहायता समिति ने जमीयत के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी के निर्देश पर इस मामले में गिरफ्तार किए गए मौलाना साजिद पटेल के मुकदमे की सुप्रीम कोर्ट में पैरवी की।

सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय पीठ के जस्टिस संजय करोल और जस्टिस एहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने आरोपी के बचाव में वरिष्ठ अधिवक्ता नित्या रामकृष्णन के तर्कों की सुनवाई के बाद आरोपी को जेल से रिहा करने का आदेश जारी किया। सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता नित्या रामकृष्णन ने अदालत को बताया कि आरोपी पिछले तीन साल से जेल की कठिनाइयों को झेल रहा है और इस मुकदमे में गिरफ्तार किए गए अधिकांश आरोपियों को जमानत मिल चुकी है, इसलिए आरोपी को भी समानता के आधार पर और आरोपी के खिलाफ लगाए गए आरोपों की प्रकृति को देखते हुए जमानत मिलनी चाहिए।

वरिष्ठ अधिवक्ता नित्या रामकृष्णन ने अदालत को यह भी बताया कि आरोपी पर जबरन धर्म परिवर्तन कराने के आरोप में वडोदरा और भरूच में मुकदमे दर्ज किए गए हैं, जिनमें से वडोदरा के मुकदमे में आरोपी को पहले ही जमानत मिल चुकी है, जबकि इस मुकदमे में भी आरोप उसी प्रकार के हैं जो भरूच के मुकदमे में हैं।

आरोपी को जमानत पर रिहा किए जाने का सरकारी वकील ने कड़े शब्दों में विरोध करते हुए कहा कि आरोपी की सुप्रीम कोर्ट और ट्रायल कोर्ट से एक-एक बार जमानत खारिज हो चुकी है, जबकि गुजरात हाई कोर्ट से आरोपी की तीन बार जमानत खारिज की जा चुकी है, इसलिए आरोपी की ओर से दायर की गई जमानत याचिका असंगत है क्योंकि मुकदमे की स्थिति में ऐसा कोई विशेष परिवर्तन नहीं हुआ है कि आरोपी लगातार जमानत याचिकाएं दायर करता रहे।

सरकारी वकील राजत नायर ने अदालत को यह भी बताया कि आरोपी इस मुकदमे का मुख्य आरोपी है, जिस पर बैतुलमाल की राशि का गलत इस्तेमाल करते हुए पिछड़े वर्ग के गरीब लोगों को पैसे का लालच देकर उनका धर्म परिवर्तन कराने का गंभीर आरोप है। सरकारी वकील ने अदालत को यह भी बताया कि आरोपी ने न केवल पैसे का लालच दिया बल्कि डराया-धमकाया भी है, जिसके कारण उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया।

सरकारी वकील के साथ-साथ शिकायतकर्ता परवीनभाई वसंतभाई के वकील ने भी आरोपी साजिदभाई पटेल को जमानत पर रिहा किए जाने का विरोध किया, लेकिन अदालत ने वरिष्ठ अधिवक्ता नित्या रामकृष्णन के तर्कों से सहमति जताते हुए याचिकाकर्ता साजिद पटेल को सशर्त जमानत पर रिहा करने का आदेश जारी किया।

सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत को निर्देश दिया कि जमानत पर रिहा किए गए अन्य आरोपियों की तर्ज पर आरोपी साजिद पटेल के खिलाफ जमानत की शर्तें तय करे। आरोपी साजिद पटेल के बचाव में बहस करने वाली वरिष्ठ अधिवक्ता नित्या रामकृष्णन की सहायता एडवोकेट सारिम नवेद, एडवोकेट शाहिद नदीम, एडवोकेट स्तुति राय, एडवोकेट ज़ीशान और एडवोकेट मुजाहिद अहमद आदि ने की।

गौरतलब है कि गुजरात के भरूच जिले के आमोद नामक स्थान पर जबरन धर्म परिवर्तन की शिकायत मिलने पर आमोद पुलिस स्टेशन ने 15 लोगों के खिलाफ गुजरात धर्म परिवर्तन कानून (गुजरात फ्रीडम ऑफ रिलिजन एक्ट 2003) और भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के साथ-साथ सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 84 (सी) के तहत मुकदमा दर्ज किया था और आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से मौलाना साजिद पटेल के परिवार और उनके गांव के साथ-साथ देश के अन्य लोगों ने भी खुशी जाहिर की है।

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