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तमिलनाडु विधानसभा में ‘एक देश एक चुनाव’ के खिलाफ प्रस्ताव पारित

तमिलनाडु विधानसभा में ‘एक देश एक चुनाव’ के खिलाफ प्रस्ताव पारित

तमिलनाडु विधानसभा ने बुधवार को केंद्र की प्रस्तावित एक राष्ट्र एक चुनाव नीति के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया है। प्रस्ताव में इसे अव्यवहारिक और लोकतांत्र के खिलाफ बताया गया है। विधानसभा ने परिसीमन को लेकर भी एक प्रस्ताव पारित किया है जिसमें कहा गया कि 1971 की जनसंख्या (जनगणना) इस प्रक्रिया को पूरा करने का मानदंड होनी चाहिए।

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने बुधवार को तमिलनाडु विधानसभा में दो प्रस्ताव पेश किए, एक ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ नीति के खिलाफ और दूसरा ताजा जनगणना के आधार पर परिसीमन के खिलाफ। ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ भारत सरकार का एक प्रस्ताव है जिसका उद्देश्य लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के लिए एकसाथ चुनाव कराना है। यह प्रस्ताव वर्तमान में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द के नेतृत्व वाली एक समिति के विचाराधीन है।

राज्य विधानसभा में मुख्यमंत्री स्टालिन ने कहा, “विधानसभा सदन केंद्र सरकार से आग्रह करता है कि ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव नीति’ को लागू न करें क्योंकि एक राष्ट्र, एक चुनाव का सिद्धांत लोकतंत्र के आधार के खिलाफ है, अव्यवहारिक है। यह भारत के संविधान में निहित नहीं है।” इस प्रस्ताव के बाद, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने नई जनगणना के आधार पर निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन की प्रस्तावित कवायद के खिलाफ दूसरा प्रस्ताव पेश किया (आखिरी जनगणना 2011 में आयोजित की गई थी)।

उन्होंने पूछा, “इस प्रस्ताव से राज्य विधानसभाएं समय से पहले ही भंग हो सकती हैं जो संविधान के खिलाफ है। अगर केंद्र में सरकार गिरती है, तो क्या सभी राज्य में विधानसभाएं भंग कर दी जाएंगी? इसी तरह, अगर कुछ राज्यों में सरकारें अल्पकालिक होंगी, तो क्या केंद्र में सत्ता में रहने वाले लोग पद छोड़ देंगे? क्या इससे अधिक हास्यास्पद कोई नीति हो सकती है?”

सीएम ने आगे कहा कि स्थानीय निकायों के चुनाव कराना राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है और स्थानीय चुनाव कराने का दावा करने का मतलब राज्य के अधिकारों को हड़पना भी है।

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