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राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) ने एनडीए में शामिल होने की आधिकारिक घोषणा की

राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) ने एनडीए में शामिल होने की आधिकारिक घोषणा की

नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी के 195 सीटों से उम्मीदवारों के ऐलान के बाद जयंत चौधरी ने एनडीए में शामिल होने का ऐलान कर दिया। उन्होंने दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से इस बाबत मुलाकात भी की। इस मुलाकात के बाद जयंत ने ट्वीट करते हुए कहा कि विकसित भारत के संकल्प और अबकी बार 400 पार के नारे को पूरा करने के लिए NDA तैयार है।

हाल ही में केंद्र सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न दिया था। उनके पोते जयंत चौधरी ने एक लाइन लिखी- दिल जीत लिया। उसके बाद वो भाजपा के हो गए। वही जयंत चौधरी जो एक हफ्ता पहले पश्चिमी यूपी के गांव में साम्प्रदायिक शक्तियों से लड़ने की कसम खा रहे थे, अब उनकी विचारधारा और निष्ठा रातोंरात बदल गई।

यहां सवाल यह है कि जयंत चौधरी की पार्टी आरएलडी को एनडीए में शामिल करने में इतनी देर क्यों लगाई गई। आखिर भाजपा ने उन्हें इतना इंतजार क्यों कराया। इसके अलावा सवाल यह भी है कि क्या जयंत के भाजपा से हाथ मिलाने के बाद पश्चिमी यूपी का किसान जो अधिकतर जाट है, भाजपा के साथ इस गठबंधन को पसंद करेगा। ये तमाम सवाल हैं जो जयंत चौधरी के पाला बदलने से उठ खड़े हुए हैं।

राष्ट्रीय लोकदल या रालोद (आरएलडी) पहले इंडिया गठबंधन यानी विपक्ष का हिस्सा थी। पार्टी पश्चिमी यूपी की पांच सीटों बागपत, मथुरा, मुजफ्फरनगर, मेरठ, गाजियाबाद पर दिसंबर से तैयारी कर रही थी। इंडिया गठबंधन के तहत अखिलेश यादव उन्हें सपा कोटे से पांच से सात सीटें देने को तैयार हो गई थी। लेकिन अब समीकरण बदल गए।

अब आरएलडी को भाजपा दो सीटें देने को तैयार है और जयंत चौधरी उस पर राजी नजर आ रहे हैं। लेकिन हो सकता है कि भाजपा इस बार जिस तरह से सीटों की संख्या को लेकर आक्रामक मूड में है, वो आरएलडी को चार सीट भी दे सकती है। जिस एक सीट को आरएलडी के लिए पक्का माना जा रहा है, वो बागपत की सीट है। वहां से जयंत चौधरी खुद भी चुनाव लड़ सकते हैं।

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि कैराना, मुजफ्फरनगर, नगीना, रामपुर, संभल, अमरोहा, मुजफ्फरनगर, बुलंदशहर, मथुरा, आगरा, फतेहपुर सीकरी, बुलंदशहर जैसी सीटों पर रालोद भाजपा की डगर आसान करेगा। आरएलडी के एनडीए में शामिल होने से एनडीए को या आरएलडी को कितना फ़ायदा होगा यह तो समय बताएगा।

दावा किय जा रहा है कि, भाजपा और रालोद के साथ आने से पिछले चुनाव में जाट मतों में हुए बिखराव को रोका जा सकेगा। समाजवादी पार्टी के खाते में बागपत है जहां अखिलेश यादव ने मनोज चौधरी को लोकसभा प्रभारी बनाया है। अगर मनोज का ही टिकट फाइनल होता है तो जाट प्रत्याशी के रूप में वे रालोद के वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश करेंगे।

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