उत्तर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष को लेकर रार, दावेदारों की लंबी कतार
प्रचंड बहुमत के साथ उत्तर प्रदेश की सत्ता में वापसी करने वाली भारतीय जनता पार्टी, प्रदेश कमेटी के नए अध्यक्ष को लेकर मंथन कर रही है।
उत्तर प्रदेश कैबिनेट गठन के बाद अब संगठन के सबसे बड़े पद को लेकर बीजेपी सभी सियासी समीकरणों का बारीकी से निरीक्षण कर रही है। पार्टी नेतृत्व प्रदेश का जातिगत एवं क्षेत्रीय गुणा भाग करने में लगा हुआ है। भाजपा उत्तर प्रदेश में पार्टी अध्यक्ष के लिए इसलिए भी मंथन कर रही है कि वह एक बार फिर लोकसभा चुनाव में अपनी पिछली सफलता को दोहराने के लिए लालायित है। पार्टी के रणनीतिकार लोकसभा चुनाव को रखकर प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव में हर बात का बारीकी से जायजा ले रहे हैं।
भाजपा जहां एक ओर राज्य में अपने पुराने सफल फार्मूलोन को दोहरा रही है वहीं नए समीकरण भी बनाने की योजना पर काम कर रही है। कहा जा रहा है कि पार्टी का एक बड़ा धड़ा प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर किसी ब्राह्मण को देखना चाहता है और इस पद के कई दावेदार भी हैं। भाजपा में एक व्यक्ति एक पद का नियम है। प्रदेश अध्यक्ष को सीएम आदित्यनाथ कैबिनेट में जगह मिली है अतः उन्हें प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी छोड़नी होगी।
भाजपा मिशन 2024 के लिए किसी ब्राह्मण नेता को प्रदेश की कमान सौंपना चाहती है। 2014 और 2019 में भाजपा क्रमशः लक्ष्मीकांत बाजपेई और डॉ महेंद्र नाथ पांडे को प्रदेश अध्यक्ष बना चुकी है। हालांकि इस बार पार्टी के कुछ नेताओं का कहना है कि 2024 के चुनाव को ध्यान में रखते हुए प्रदेश अध्यक्ष की कमान किसी दलित या ओबीसी नेता को सौंपना चाहिए जबकि पार्टी के एक धड़े का मानना है कि मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के कैबिनेट में ओबीसी और दलितों को अच्छा खासा प्रतिनिधित्व मिल चुका है, अतः ब्राह्मणों को साधने के लिए प्रदेश अध्यक्ष की कमान किसी ब्राह्मण नेता को सौंपी जाए।