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राहुल गांधी ने फिर उठाया बे रोज़गारों का मुद्दा, कहा बे रोज़गारी का समाधान नहीं चाहती मोदी सरकार

राहुल गांधी ने फिर उठाया बे रोज़गारों का मुद्दा, कहा बे रोज़गारी का समाधान नहीं चाहती मोदी सरकार

मोदी सरकार में बे रोज़गारी का मुद्दा तो ऐसे होता जा रहा है जिसपर सरकार बात ही करने को तैयार नहीं है, और सच्चाई की अगर बात करें तो रोज़गार मिलना तो दूर पिछले कुछ सालों से लगातार लोगों के रोज़गार छिनते जा रहे हैं जैसाकि अभी हाल ही की ख़बर है कि बैंक ऑफ़ बड़ौदा की 900 शाखाओं को बंद करने का फ़ैसला मोदी सरकार में लिया गया जिसके नतीजे में लगभग 5000 लोग बे रोज़गार होंगे।

और सबसे अफ़सोस की बात यह है कि ऐसी बे रोज़गारी के माहौल में अगर कोई सरकारी पदों पर जगहें निकलीं भी तो BJP सरकार एक्ज़ाम से पहले पेपर की सौदेबाज़ी कर बैठती है जैसाकि अभी हरियाणा से ख़बर सामने आई कि 12 12 लाख में आंसर की को बेचा गया।

ऐसे में सवाल उठता है कि मोदी सरकार आख़िर क्यों देश के युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ कर रही है और आख़िर यह खिलवाड़ कब तक चलेगा, ज़ाहिर है ऐसे में मोदी सरकार द्वारा रोज़गार की बातें झूठ और फर्जीवाड़े के अलावा और कुछ नहीं।

इसी मामले को लेकर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने बे रोज़गारी के बढ़ते आंकड़े पर सरकार को घेरते हुए शुक्रवार को कहा कि रोजगार सृजन की पहल करने के बजाए सरकारी संस्थाओं को बेचकर लोगों का रोजगार चाह रही है।

राहुल गांधी ने कहा कि केंद्र सरकार बे रोज़गारी का समाधान ही नहीं करना चाहती, सरकार युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ कर रही है और रोज़गार को लेकर उसकी भूमिका बेहद निराशाजनक है।

राहुल गांधी ने केवल समस्या ही नहीं बल्कि उसका समाधान बताते हुए कहा कि सबसे बड़ा राष्ट्रीय मुद्दा बे रोज़गारी है जिसके कुछ सीधे समाधान हैं, पीएसयू-पीएसबी मत बेचो, एमएसएमई को आर्थिक मदद दो, मित्रों की नहीं, देश की सोचो, लेकिन केंद्र सरकार समाधान करना नहीं चाहती।

इससे पहले उन्होंने एक अन्य ट्वीट में बेरोजगारी को लेकर कहा कि मोदी सरकार रोज़गार के लिए हानिकारक है, वह किसी भी प्रकार के मित्रहीन व्यवसाय या रोज़गार को बढ़ावा या सहारा नहीं देते बल्कि जिनके पास नौकरी है उसे भी छीनने में लगे हैं, देशवासियों से आत्मनिर्भरता का ढोंग अपेक्षित है।

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