झूठे मुकदमों में कैद किए गए राजनीतिक कैदियों को रिहा किया जाए: प्रेस क्लब ऑफ इंडिया

झूठे मुकदमों में कैद किए गए राजनीतिक कैदियों को रिहा किया जाए: प्रेस क्लब ऑफ इंडिया

नई दिल्ली: एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स(एपीसीआर) के बैनर तले नई दिल्ली के प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में आयोजित सम्मेलन के दौरान कानूनी विशेषज्ञों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और राजनीतिक नेताओं ने उमर खालिद, शरजील इमाम, खालिद सैफी और गुलफशां फातिमा सहित अन्य राजनीतिक कैदियों की रिहाई की मांग की है। इस दौरान वक्ताओं के रूप में योजना आयोग की पूर्व सदस्य डॉ. सईदा सईदीन हामिद, केंद्रीय कैबिनेट के पूर्व मंत्री सलमान खुर्शीद, सीपीआई(एमएल) सांसद राजा राम सिंह, सीपीआई (एम) सांसद जान ब्रिट्स, पत्रकार सौरभ दास और कानूनी विशेषज्ञ गौतम भाटिया ने भाषण दिया।

वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि इन राजनीतिक कैदियों को केवल धर्म और जाति के आधार पर निशाना बनाकर झूठे मुकदमों में अब तक गिरफ्तार कर रखा गया है। वक्ताओं ने कहा कि इन सभी राजनीतिक कैदियों को 4 साल से अधिक समय से जेलों में रखा गया है, इस दौरान उनके परिवार भी विभिन्न परेशानियों में फंसे हुए हैं, लेकिन कहीं से भी उनकी रिहाई का रास्ता साफ नहीं हो पा रहा है। उमर खालिद, शरजील इमाम, खालिद सैफी सहित अन्य राजनीतिक कैदी उत्पीड़ितों के खिलाफ उठने वाली लोकतांत्रिक आवाजों में शामिल थे, इसलिए बीजेपी सरकार उन्हें यूएपीए के तहत जेल में रखना चाहती है। हम इसकी कड़ी निंदा करते हैं और तुरंत उमर खालिद सहित शरजील, खालिद सैफी, गुलफशां फातिमा और अन्य की रिहाई की मांग करते हैं।

इस मौके पर योजना आयोग की पूर्व सदस्य सईदा सईदीन हामिद ने कहा कि मौजूदा सरकार विशेष रूप से मुसलमानों को निशाना बना रही है। इस सरकार ने मुसलमानों के खिलाफ अभियान चला रखा है, जिसके तहत मुसलमानों को उनके धर्म के आधार पर लगातार हमला किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि 2002 में गुजरात में क्या हुआ हम सब उसके चश्मदीद हैं। उन्होंने कहा कि उमर खालिद, शरजील इमाम, गुलफशां फातिमा सहित अन्य लोग झूठे मुकदमों में सालों से जेल में हैं, लेकिन अब तक उन्हें जमानत नहीं मिल रही है। उन्होंने मांग की कि हम इन सभी राजनीतिक कैदियों की रिहाई की मांग करते हैं।

पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद ने राजनीतिक दलों की प्रशासनिक खामियों पर प्रकाश डाला और कहा कि आज राजनीतिक दलों में कुछ लोग अच्छे हैं तो कुछ बुरे हैं। यही राजनीतिक दल सरकार में आने के बाद सरकारी प्रशासन को बिगाड़ देते हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली दंगों के आरोप में उमर खालिद सहित अन्य लोग जेल में हैं, मुकदमे चल रहे हैं, लेकिन न्याय की प्राप्ति नहीं हो रही है। उन्होंने कहा कि हमें हिम्मत नहीं हारनी चाहिए और सरकारी प्रशासन में पाई जाने वाली खामियों को दूर करने के लिए योजना बनाने पर विचार करना होगा।

सांसद राजा राम मोहन ने कहा कि हम उमर खालिद, शरजील इमाम, गुलफशां फातिमा सहित उन सभी लोगों की रिहाई की मांग करते हैं जिन्हें न्याय नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि हमने इस सरकार की तानाशाही को आम चुनावों में हिला दिया है, लेकिन अभी उखाड़ नहीं पाए हैं। हमारी लड़ाई जारी है, हमें विश्वास है कि जीत न्याय की होगी। पत्रकार सौरभ दास ने इस बात पर जोर दिया कि दिल्ली पुलिस ने बिना किसी आरोप के दिल्ली दंगों में मुसलमानों को चुनकर निशाना बनाया है। उन्होंने दिल्ली दंगों में पुलिस और सरकारी प्रशासन की भूमिका पर विस्तार से प्रकाश डाला। कानूनी विशेषज्ञ गौतम भाटिया ने यूएपीए के गलत इस्तेमाल पर सरकार को निशाना बनाया और अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर प्रकाश डाला।

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