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पुलिस स्टेशन का नाम बदलकर ‘टॉर्चर होम’ रख देना चाहिए’: अखिलेश यादव

पुलिस स्टेशन का नाम बदलकर ‘टॉर्चर होम’ रख देना चाहिए’: अखिलेश यादव

पुलिस हिरासत में यहां एक युवक की मौत के मामले के सामने आने के बाद विपक्षी दलों के नेताओं ने बीजेपी को कड़ी आलोचना का निशाना बनाया है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि वर्तमान सरकार ने उत्तर प्रदेश को जंगल राज में तब्दील कर दिया है। पुलिस बेगुनाहों को झूठे मुकदमों में गिरफ्तार करके उन्हें प्रताड़ित करती है। पुलिस उन्हें पीट-पीट कर मार रही है। सिर्फ लखनऊ में ही 15 दिनों के अंदर दो युवकों की पुलिस हिरासत में मौत हो चुकी है। इस मामले पर अखिलेश यादव के साथ ही कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी और बीएसपी प्रमुख मायावती ने भी यूपी सरकार की आलोचना की है।

अखिलेश यादव ने कहा कि शहरों और अन्य स्थानों का नाम बदलने में माहिर बीजेपी सरकार को अब ‘पुलिस कस्टडी’ का नाम बदल कर ‘टॉर्चर होम’ रख देना चाहिए। उन्होंने लखनऊ के विकास नगर में रहने वाले अमन गौतम की पुलिस हिरासत में मौत के बाद अब चिनहट थाने में व्यापारी मोहित पांडे की मौत पर अपनी नाराज़गी जाहिर की है। उन्होंने परिजनों के बयान का हवाला देते हुए कहा कि पुलिस ने पीड़ित को मारा-पीटा और पानी मांगने पर उसे पानी तक नहीं दिया। अखिलेश यादव के मुताबिक, ऐसी बेदर्दी पहले कभी नहीं देखी गई।

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष ने कहा कि वे पीड़ित परिवार के साथ हैं और उस परिवार की हर मांग पूरी की जानी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस हिरासत में होने वाली मौतों के मामले में उत्तर प्रदेश पहले नंबर पर है। इसी तरह फर्जी एनकाउंटर में भी यूपी देश में सबसे आगे है। सत्ता की हिफाजत के लिए पुलिस खुद अराजकता पर उतारू है, कानून का राज खत्म हो चुका है, लोगों में डर का माहौल है, जनता का बीजेपी सरकार और पुलिस से भरोसा उठ चुका है। पुलिस गरीब और बेगुनाह लोगों को परेशान करती है, जबकि असली अपराधियों और माफियाओं को बीजेपी का संरक्षण प्राप्त है।

इस मामले पर कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी यूपी सरकार की आलोचना की है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा कि बीजेपी ने राज्य में ऐसा जंगल राज स्थापित किया है जहां पुलिस अत्याचार और बर्बरता की प्रतीक बन गई है। उन्होंने यह भी लिखा है कि जहां कानून के रक्षक ही जान ले रहे हों, वहां जनता न्याय की उम्मीद किससे रखे। बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने भी कहा है कि लखनऊ में दुकानदार मोहित पांडे की पुलिस हिरासत में मौत पर परिवार और लोगों में गुस्सा और नाराज़गी का होना स्वाभाविक है। यह घटना अत्यंत निंदनीय है, सरकार को पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने के लिए प्रभावी कदम उठाने चाहिए।

गौरतलब है कि लखनऊ के एक पुलिस स्टेशन में हिरासत में मौत की घटना का एक सीसीटीवी फुटेज सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इसमें मोहित लॉकअप में पड़ा दिखाई दे रहा है। उसके परिवार ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने मोहित को हिरासत में इतना मारा कि वह मर गया और जानबूझकर खुद को बचाने के लिए वीडियो का एक छोटा सा हिस्सा लीक किया। मोहित के भाई सुभाराम ने कहा कि उसे भी पुलिस ने हिरासत में लिया था लेकिन बाद में छोड़ दिया। सुभाराम ने आरोप लगाया कि पुलिसकर्मियों ने उसके भाई को उसके सामने बेरहमी से मारा और वह कुछ नहीं कर सका। मोहित की मौत के बाद पुलिस उसे अस्पताल ले गई।

सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि मोहित पांडे काफी तकलीफ में है। वीडियो के अनुसार पुलिस लॉकअप में 8 लोग फर्श पर पड़े हैं। इनमें से एक व्यक्ति (मोहित) दूसरी दिशा में थोड़ी दूर किनारे पर पड़ा है। वह दर्द से कराहता हुआ दिखाई देता है। उसकी परेशानी देखकर एक व्यक्ति उठकर उसके पास जाता है। उसे संभालने की कोशिश करता है लेकिन थोड़ी देर बाद पीड़ित व्यक्ति में कोई हलचल नहीं होती। जेल में एक व्यक्ति है जो गेट पर खड़ा है और वहां से गुहार लगा रहा है कि गेट खोला जाए। उसका साथी बीमार है। कुछ देर बाद लॉकअप के बाहर एक पुलिसकर्मी भी नजर आता है। सूत्रों के अनुसार मोहित पांडे को बच्चों के झगड़े के बाद पुलिस ने हिरासत में लिया था और दूसरे ही दिन उसकी मौत हो गई।

भाई का आरोप मोहित के भाई सुभाराम का आरोप है कि उन्हें पुलिस से कोई मदद नहीं मिली। मोहित के भाई सुभाराम का कहना है कि चिनहट पुलिस ने मोहित पर बहुत अत्याचार किया। उसे मारा-पीटा जिसकी वजह से लॉकअप में उसकी हालत बिगड़ गई। भाई का आरोप है कि पुलिस के अत्याचार की वजह से शनिवार दोपहर लॉकअप में मोहित की मौत हो गई। सुभाराम ने बताया कि इसके बाद पुलिस वाले उनके साथ पहले मोहित को चिनहट सीएचसी ले गए। वहां से उन्हें लोहिया अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। घटना पर गुस्साए परिजनों ने थाने के बाहर पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कराने के लिए प्रदर्शन किया जिसके बाद पुलिस ने बल प्रयोग कर उन्हें वहां से हटा दिया।

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