ग़ाज़ा शांति समझौते पर पीएम मोदी ने ट्रंप की योजना का स्वागत किया
ग़ाज़ा में महीनों से जारी युद्ध के बीच अब एक नया मोड़ दिखाई दे रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संघर्ष खत्म करने के लिए 20 प्वाइंट्स का एक प्लान पेश किया है। इस योजना का समर्थन करने वालों की सूची में इज़रायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू समेत कुछ अरब व मुस्लिम देश शामिल हैं। लेकिन गौर करने वाली बात यह है कि इस पहल को लेकर अमेरिकी रवैया कहीं न कहीं अपने हितों को साधने वाला ज़्यादा दिख रहा है, न कि फ़िलिस्तीन की असली तकलीफ़ को समझने वाला।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार (30 सितंबर) को इस योजना का स्वागत करते हुए इसे लंबे समय तक शांति, सुरक्षा और विकास का रास्ता बताया। पीएम मोदी ने एक्स पोस्ट के जरिए कहा कि, राष्ट्रपति ट्रंप की पहल फ़िलिस्तीनी और इज़रायली दोनों जनता के लिए फायदेमंद हो सकती है। पीएम मोदी का यह रुख इस बात का संकेत है कि भारत, एक ज़िम्मेदार ताक़त के रूप में, हमेशा शांति और स्थिरता के पक्ष में खड़ा है। भारत की यह पोज़ीशन पश्चिम एशिया में संतुलन कायम करने में भी अहम भूमिका निभा सकती है।
दूसरी तरफ, ट्रंप का प्रस्ताव ऐसे समय आया है जब अमेरिकी नीति बार-बार इज़रायल के पक्ष में झुकी हुई साबित हुई है। फ़िलिस्तीनियों के ख़ून और दर्द के बीच अमेरिका की ये “शांति योजनाएँ” दरअसल अपनी वैश्विक राजनीति और सैन्य गठजोड़ों को मजबूत करने की चाल भी मानी जा रही हैं। यही कारण है कि हमास ने इस प्रस्ताव को तुरंत स्वीकार नहीं किया और कहा कि वह इस पर गंभीरता से विचार करेगा।
दरअसल, असली ज़रूरत एक ऐसी योजना की है जो केवल इज़रायल के हितों की गारंटी न करे, बल्कि फ़िलिस्तीनी जनता की आज़ादी, सुरक्षा और उनके बुनियादी हक़ की रक्षा भी सुनिश्चित करे। भारत का साफ़-साफ़ संदेश यही है कि, शांति थोपी नहीं जा सकती, बल्कि न्याय और समानता के आधार पर ही टिकाऊ अमन कायम हो सकता है।

