यूरिया वितरण पर चुनाव आयोग की रोक का कारण “माननीय” की फोटो: प्रियंका
मध्य प्रदेश में खाद का संकट अपने चरम पर है। पुरुषों के साथ महिलाओं को भी रात-रात भर खाद की बोरी हासिल करने के लिए लाइन में लगना पड़ रहा है। मध्य प्रदेश में यूरिया संकट की एक बड़ी वजह निर्वाचन आयोग का वह आदेश भी है, जिसमें उसने प्रधानमंत्री की फोटो लगी यूरिया की बोरियों के वितरण पर रोक लगा दी गई है।
अब इसी मुद्दे को उठाते हुए कांग्रेस महासचिव और स्टार प्रचारक प्रियंका गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरा है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा “मध्य प्रदेश में किसानों को यूरिया नहीं मिल रही है। लंबी-लंबी कतारें लग रही हैं। जो यूरिया स्टॉक में है, वो भी बंट नहीं रहा है। इसकी एक वजह यह भी है कि यूरिया के बोरे पर “माननीय” की फोटो होने के चलते चुनाव आयोग ने इसके वितरण पर रोक लगा दी है। आखिर क्यों लगाई गई फोटो? यूरिया पर भी प्रचार जरूरी था?”
दरअसल, राज्य के कई इलाकों में यूरिया का गंभीर संकट बना हुआ है। राज्य भर से खबरें आ रही हैं कि किसान सरकारी गोदाम में सुबह से लाइन लगाकर यूरिया हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं।
प्रियंका गांधी ने आगे एक शेर ”हुज़ूर का शौक सलामत रहे शहर हैं और बहुत”, का जिक्र करते हुए लिखा कि, जब तक चुनाव खत्म होगा, गेहूं बोने का सीजन बीत चुका होगा। क्या देश की राजनीति की हालत इतनी बिगड़ चुकी है कि खेती चौपट होने की कीमत पर भी कुछ नेताओं का चेहरा चमकाने का शौक पूरा किया जाएगा। वहीं, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रमुख कमलनाथ ने भी यूरिया संकट के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर सीधा आरोप लगाया है।
कमलनाथ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि, प्रदेश में खाद का संकट अपने चरम पर है। पुरुषों के साथ महिलाओं को भी रात-रात भर खाद की बोरी हासिल करने के लिए लाइन में लगना पड़ रहा है। यही 18 साल का सीएम शिवराज का मॉडल है, जिसमें किसानों को ना खाद मिलती है, न बीज मिलता है, ना फसल का सही दाम मिलता है और अगर वह अपनी मांगों को लेकर सामने आते हैं, तो उन्हें मंदसौर गोलीकांड मिलता है।
कमलनाथ ने आगे लिखा कि मध्य प्रदेश में हर साल जब-जब किसान को खाद की आवश्यकता पड़ती है, तब-तब इस तरह के दृश्य देखने को मिलते हैं। इसका मतलब संकट सिर्फ खाद का नहीं है, बल्कि शिवराज सरकार की नीयत का है। मध्य प्रदेश की जनता को सच्चाई को समझना चाहिए और ऐसी सरकार को उखाड़ फेंकने में तेजी दिखानी चाहिए, जो जानबूझकर किसानों को परेशान करती है।