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ज्ञानवापी के बाद ताज महल के खिलाफ याचिका

ज्ञानवापी के बाद ताज महल के खिलाफ याचिका

इस समय देश में मस्जिदों और कब्रों को लेकर सियासत चल रही है। अभी तक ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर विवाद चल रहा रहा था और वहां पूजा की इजाजत भी ली गई थी लेकिन अब दुनिया के 7 अजूबों में से एक ताज महल के खिलाफ भी वही तरीका अपनाने की कोशिश की गई है। इस संबंध में अखिल भारतीय हिंदू महासभा ने कोर्ट में याचिका दायर कर हर साल ताज महल में आयोजित होने वाले शाहजहां के उर्स पर आपत्ति जताई है और इसे किसी भी कीमत पर रोकने की मांग की है।

हिंदू महासभा के सौरभ शर्मा और मीना दिवाकर ने अपने वकील के माध्यम से एक याचिका दायर कर यहां होने वाले उर्स और प्रार्थनाओं पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। हिंदू महासभा ने इस याचिका में दावा किया है कि यहां न तो मुगल काल में और न ही ब्रिटिश काल में कोई उर्स मनाया गया। इसे अब बंद किया जाना चाहिए। बता दें कि आगरा की स्थानीय अदालत में दायर इस याचिका का आधार पुरातत्व विभाग की ओर से दिए गए आरटीआई का जवाब है, जिसमें कहा गया था कि उन्हें ताज महल में उर्स और नमाज के संबंध में किसी भी अनुमति के बारे में कोई जानकारी नहीं है।

कोर्ट ने इस याचिका को स्वीकार करते हुए इस मामले में शाहजहां उर्स कमेटी को नोटिस जारी किया है और इसकी सुनवाई 4 मार्च को तय की है। वैसे तो शाहजहां का उर्स 6 से 8 फरवरी के बीच मनाया जाएगा, लेकिन हिंदू महासभा ने अपनी याचिका में उर्स पर स्थाई रोक लगाने की मांग की है, इसीलिए कोर्ट ने इसके लिए 4 मार्च की तारीख दी है। इस संबंध में हिंदू महासभा के वकील अनिल तिवारी ने बताया कि याचिका में कहा गया है कि ताज महल में होने वाला उर्स बिना किसी अनुमति के किया जा रहा है, इसलिए इसे रोका जाना चाहिए।

सौरभ शर्मा, जिला अध्यक्ष हिंदू महासभा और मीना दिवाकर हिंदू महासभा को वादी बनाया गया है जबकि उर्स आयोजन समिति को प्रतिवादी बनाया गया है। कोर्ट ने नोटिस जारी किया है। हिंदू महासभा ने इस बात पर भी आपत्ति जताई है कि उर्स के दौरान प्रबंधन समिति के साथ-साथ कई लोगों को उर्स के नाम पर ताज महल में मुफ्त प्रवेश दिया जाता है, जिससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान होता है। याचिका के बारे में आगरा हिंदू महासभा के जिला अध्यक्ष सौरभ शर्मा ने कहा कि समिति के पास उर्स के आयोजन की कोई अनुमति नहीं है। हमने पूर्व में भी पुरातत्व विभाग में इस पर आपत्ति जताई थी, क्योंकि यह संविधान के खिलाफ है। एक देश में एक ही कानून होना चाहिए।

याद रहे कि समाजवादी नेता आजम खान ने ऐसी ही हरकतों का मजाक उड़ाया था और कहा था कि सरकार चाहे तो ताज महल को गिरा सकती है।

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