“संसद” सवालों के लिए ही बनी है: प्रियंका गांधी
कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने सोमवार को संसद की कार्यवाही में उत्पन्न हुए विवादों के बीच सरकार को कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि संसद का मूल उद्देश्य ही प्रश्न पूछना और गंभीर मुद्दों पर विमर्श करना है। उनके अनुसार यदि जनता के प्रतिनिधि सवाल ही न पूछ सकें तो फिर संसद की स्थापना का अर्थ ही समाप्त हो जाता है।
प्रियंका गांधी ने आज पत्रकारों से बातचीत में कहा कि देश इस समय कई जटिल समस्याओं से घिरा हुआ है, जिन पर गहन चर्चा की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, “चाहे देश चुनावी माहौल में हो या सामान्य परिस्थितियों में, मतदाता सूची का विशेष पुनरीक्षण, नागरिक सुविधाओं से जुड़े मुद्दे और प्रदूषण जैसी समस्याएँ निरंतर बढ़ रही हैं। इन विषयों पर विस्तार से बहस होना लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए अनिवार्य है। आखिर संसद का असली उद्देश्य क्या है यदि हम इन मुद्दों पर चर्चा ही न कर सकें?”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि संसद को कभी भी तमाशे की जगह नहीं समझा जाना चाहिए। उनके अनुसार जनता की समस्याएँ उठाना और उन पर सरकार से जवाब माँगना जनप्रतिनिधियों की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा, “जनता की आवाज़ बनना कोई तमाशा नहीं है। असली तमाशा तब होता है जब महत्वपूर्ण मुद्दों पर बहस ही न होने दी जाए और कार्यवाही बाधित कर दी जाए।”
उल्लेखनीय है कि शीतकालीन सत्र के पहले दिन लोकसभा में विपक्षी सांसदों ने मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण, स्थानीय समस्याओं और प्रशासनिक लापरवाही के आरोपों पर जोरदार विरोध जताया। विपक्ष का आरोप था कि सरकार इन मुद्दों पर चर्चा से बच रही है और जनता की चिंताओं को नजरअंदाज़ किया जा रहा है।
लगातार शोर-शराबे और हंगामे के कारण लोकसभा की कार्यवाही दो बार स्थगित करनी पड़ी। बाद में स्थिति सामान्य न होने पर पूरे दिन का सत्र स्थगित कर दिया गया। विपक्ष ने इसे लोकतांत्रिक अधिकारों को दबाने की प्रक्रिया बताया, जबकि सत्ता पक्ष ने कहा कि विपक्ष अनावश्यक रूप से वातावरण तनावपूर्ण बना रहा है।

