फिलिस्तीन ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से कफ़न भेजने की मार्मिक अपील की
ग़ाज़ा पट्टी पर इज़रायली हमलों के बीच, फिलिस्तीन की स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक दर्दभरी और गंभीर अपील जारी की है, जिसमें उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से उन शहीदों के लिए कफ़न भेजने की गुहार लगाई है, जो इन हमलों में मारे गए हैं। मंत्रालय का बयान ग़ाज़ा में वर्तमान में उत्पन्न हो चुके गंभीर मानवीय संकट की ओर इशारा करता है, जहां लोगों के जीवन की रक्षा और उनकी मूलभूत जरूरतों को पूरा करने में वैश्विक बिरादरी असफल रही है।
शहीदों के सम्मान के लिए कफ़न भेजने की अपील
फिलिस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि “अंतरराष्ट्रीय समुदाय ग़ाज़ा के लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और उनकी आवश्यकताओं को पूरा करने में विफल रहा है। अगर जीवित फिलिस्तीनियों को सुरक्षित करने और उनकी आवश्यकताएं पूरी करने में असमर्थता जाहिर की जा रही है, तो कम से कम हमारे शहीदों को इज्ज़त के साथ दफ़नाने के लिए कफ़न भेजे जाएं।” इस बयान में दुनिया भर के देशों और संगठनों से इस मानवीय त्रासदी को समझने और फिलिस्तीनी लोगों की मदद करने की अपील की गई है।
गंभीर मानवीय संकट
ग़ाज़ा में इज़रायली हमलों के कारण स्थितियां अत्यधिक चिंताजनक हो चुकी हैं। बयान में कहा गया है, “हमारी दुनिया से अपील है कि जो दुनिया हमारे लोगों को सुरक्षा और शरण प्रदान करने में असफल रही है, वह कम से कम हमारे शहीदों की लाशों को सम्मानपूर्वक दफनाने के लिए कफ़न भेजने का प्रयास करे।” 7 अक्टूबर 2023 से शुरू हुए इन हमलों में अब तक करीब 17,000 बच्चों और 11,378 महिलाओं सहित 42,718 फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं। घायल होने वालों की संख्या 1 लाख 282 से भी अधिक हो चुकी है, जो एक भयंकर मानवीय संकट की ओर इशारा करती है।
आवश्यकताओं की अनदेखी और अंतरराष्ट्रीय सहायता की कमी
स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपने बयान में अंतरराष्ट्रीय बिरादरी पर जोर देते हुए कहा कि गाजा के नागरिकों की मदद के लिए की जाने वाली वैश्विक प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं। खाद्य आपूर्ति, चिकित्सा सेवाएं, और अन्य मूलभूत आवश्यकताओं की कमी के चलते गाजा के लोग अत्यधिक कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करने में नाकामी का असर सबसे ज्यादा बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों पर पड़ा है।
फिलिस्तीनियों के धैर्य की परीक्षा
इस कठिन समय में, फिलिस्तीन के नागरिकों ने अद्वितीय धैर्य और साहस का परिचय दिया है, लेकिन जिस प्रकार से दुनिया उनके दुःख को नजरअंदाज कर रही है, यह उनके लिए एक और चोट जैसा है। शहीदों की लाशों का सम्मानपूर्वक अंतिम संस्कार भी एक बुनियादी मानवीय अधिकार है, और फिलिस्तीन की यह अपील उनकी इस आवश्यकता को दुनिया के सामने रख रही है। अब देखना होगा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस दर्दनाक अपील पर क्या प्रतिक्रिया देता है और क्या ग़ाज़ा के नागरिकों को उनकी ज़रूरतों के साथ-साथ शहीदों के सम्मान की रक्षा के लिए मदद मिल पाती है या नहीं।