ख्वाजा ग़रीब नवाज़ की दरगाह में पाकिस्तानियों को नहीं मिलेगी एंट्री
कोरोना महामारी के चलते इस साल भी पाकिस्तान के श्रद्धालु विश्व प्रसिद्ध ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ के उर्स के अवसर पर उनकी दरगाह में मत्था टेकने से वंचित रहेंगे।
ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ का 810वां सालाना उर्स अगले महीने 2 फरवरी से शुरू होने जा रहा है। विश्व प्रसिद्ध गरीब नवाज के सालाना उर्स पर देश और विदेश से हर साल लाखों की तादाद में जायरीन पहुंचते हैं। कोरोना महामारी के चलते इस बार भी पाकिस्तान से आने वाले जायरीनों का ख्वाजा के दर पर दुआ मांगने का ख्वाब अधूरा ही रह जाएगा क्योंकि अजमेर जिला प्रशासन नहीं चाहता कि इस बार भी पाकिस्तान से ज़ाएरीन को आने कि अनुमति दी जाए और इस काम के लिए वह राज्य सरकार से गुहार लगाने का निर्णय कर चुका है।
गरीब नवाज के दर पर हर कोई जा सकता है, चाहे कोई भी हो, किसी भी सीमा से आया हो यहां सब दायरे टूट जाते हैं। एक आंकड़े के मुताबिक हर साल उर्स में पाकिस्तान से करीब 500 जायरीनों का जत्था अजमेर पहुंचता है। हालांकि पिछले 2 साल से कोरोना महामारी के चलते पाकिस्तान के जायरीनों को ख्वाजा के दर पर शीश झुकाने का मौका नहीं मिल रहा है।
कोरोना के लगातार बढ़ते आंकड़ों को देखते हुए किसी भी तरह की चूक सरकार पर भारी पड़ सकती है। इसके साथ ही राज्य में भीड़भाड़ को लेकर कई तरह की गाइडलाइन पहले से ही जारी है जिसके बाद उर्स के ऊपर भी इस बार कोरोना का प्रभाव दिखेगा। 10 दिनों तक चलने वाले उर्स में दरगाह 24 घंटे खुली रहती है जिस दौरान लाखों की संख्या में जायरीन यहां पहुंचते हैं और मन्नते मांगते हैं।
अजमेर जिला प्रशासन को इन दिनों काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है एक ओर अजमेर में लगातार बढ़ता कोरोना संक्रमण बढ़ रहा है वहीँ अब अगले महीने से शुरू होने जा रहे उर्स को लेकर भी प्रशस्सन हलकान हुआ जा रहा है। ऐसे में अब अजमेर जिला प्रशासन ने यह तय किया है कि वह राज्य सरकार को इस बारे में पत्र लिखेगा ताकि बाहर से आने वाले ज़ाएरीन पर रोक लगाई जा सके।
अजमेर जिला प्रशासन ने हाल ही में दरगाह कमेटी और खादिम संस्थाओं के पदाधिकारियों से मिलकर बैठक की थी। कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित ने दरगाह कमेटी व खादिम संस्थाओं के पदाधिकारियों से इस दौरान कहा कि आप पाकिस्तान या बाहर से आने वाले जायरीनों को उर्स में शामिल नहीं होने के लिए अपील करें।