पाकिस्तान ने यूएन में इस्लामोफोबिया पर पेश किया प्रस्ताव, भारत ने किया किनारा
इस्लामोफोबिया से निपटने के उपाय’ प्रस्ताव को शुक्रवार को पाकिस्तान द्वारा पेश किया गया, जिसके पक्ष में 115 देशों ने मतदान किया। भारत ने कड़ा रुख अपनाया और इस प्रस्ताव का हिस्सा नहीं बनने का फैसला लिया। साथ ही इस बात पर जोर दिया कि सिर्फ एक धर्म की बात न करके बल्कि हिंसा तथा भेदभाव का सामना कर रहे अन्य सभी धर्मों की भी बात की जाए और प्रस्ताव रखा जाए।
इस प्रस्ताव के पक्ष में 115 देशों ने मतदान किया। जबकि भारत, ब्राजील, फ्रांस, जर्मनी, इटली, यूक्रेन और ब्रिटेन सहित 44 देशों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया। 115 वोट पक्ष में पड़ने के बाद प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया गया। संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने यहूदी विरोधी, ईसाई धर्म से घृणा और इस्लाम से भय के खिलाफ सभी कृत्यों की निंदा की।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इउन्होंने स तरह के भय के मामले अब्राहमी धर्म से परे हैं। उन्होंने कहा कि बहुलवाद के एक गौरवशाली हिमायती के रूप में भारत सभी धर्मों और सभी आस्थाओं के समान संरक्षण और संवर्धन के सिद्धांत को दृढ़ता से कायम रखता है। उन्होंने कहा कि यह स्वीकार करना महत्वपूर्ण है कि फोबिया अब्राहमिक धर्मों से भी परे है।
इस्लामोफोबिया का मुद्दा निस्संदेह महत्वपूर्ण
भारत ने सभी सदस्य देशों से धार्मिक भेदभाव के व्यापक दायरे पर विचार करने का आह्वान किया जो विश्व स्तर पर कायम है। कंबोज ने कहा कि इस्लामोफोबिया का मुद्दा निस्संदेह महत्वपूर्ण है, लेकिन हमें यह स्वीकार करना चाहिए कि अन्य धर्म भी भेदभाव और हिंसा का सामना कर रहे हैं।
इस्लामोफोबिया का मुकाबला करने के लिए पूरी तरह से संसाधनों का आवंटन करना, जबकि अन्य धर्मों द्वारा सामना की जाने वाली समान चुनौतियों की उपेक्षा करना, अनजाने में बहिष्कार और असमानता की भावना को कायम रख सकता है।’
कंबोज ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा कि यह पहचानना महत्वपूर्ण है कि 1.2 अरब से अधिक अनुयायियों के साथ हिंदू धर्म, 53.5 करोड़ से अधिक अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म और दुनिया भर में 30 मिलियन से अधिक अनुयायियों वाले सिख धर्म, सभी धार्मिकता के शिकार हैं। यह समय है कि हम केवल एक पर बात करने के बजाय सभी धर्मों के लिए बात करें।