उमर अब्दुल्ला के “पब्लिक सेफ्टी एक्ट ख़त्म करने” वाले बयान पर ओवैसी का शायराना जवाब!
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने शनिवार को जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के उस बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है, जिसमें उन्होंने कहा था कि राज्य का दर्जा बहाल होने के बाद वे “पब्लिक सेफ्टी एक्ट (PSA)” को ख़त्म कर देंगे।
ओवैसी ने कहा कि 1978 से अब तक जम्मू-कश्मीर में जितने भी मुख्यमंत्री आए — सबके पास इस कानून को रद्द करने का अधिकार था, लेकिन किसी ने ऐसा नहीं किया।
उमर अब्दुल्ला ने शनिवार को मीडिया से बात करते हुए कहा था कि राज्य का दर्जा बहाल होने के बाद उनकी सरकार PSA को ख़त्म कर देगी और इसके लिए वे विधानसभा सत्र का इंतज़ार नहीं करेंगे बल्कि एक अध्यादेश (Ordinance) के ज़रिए इसे रद्द करेंगे।
ओवैसी ने इस बयान पर टिप्पणी करते हुए कहा कि पब्लिक सेफ्टी एक्ट 1978 में शेख अब्दुल्ला ने तस्करी पर काबू पाने के लिए लागू किया था। उसके बाद जो भी मुख्यमंत्री आए — फारूक अब्दुल्ला, गुलाम मोहम्मद शाह, मुफ्ती मोहम्मद सईद, गुलाम नबी आज़ाद, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती — सबके पास इसे रद्द करने का मौका था, लेकिन किसी ने ऐसा नहीं किया।
उन्होंने कहा कि, इस कानून का दुरुपयोग लगभग हर चुनी हुई सरकार और राज्यपाल के कार्यकाल में हुआ है।1978 से अब तक 20 हज़ार से ज़्यादा लोगों को बिना मुकदमा चलाए, बिना आरोप तय किए या अपील का अधिकार दिए जेलों में बंद किया गया। ओवैसी ने खुलासा किया कि कुछ बंदियों की हिरासत 7 से 12 साल तक बढ़ाई गई।
उन्होंने कहा,
“एक अलगाववादी नेता को PSA के तहत गिरफ्तार किया गया, लेकिन जब अदालत में पेश करने की बारी आई तो उसके खिलाफ जारी हुआ और बाद में उसे ज़मानत पर रिहा कर दिया गया।”
ओवैसी ने तंज भरे अंदाज़ में कहा:
“सब कुछ लुटा के होश में आए तो क्या किया,
दिन में अगर चिराग़ जलाए तो क्या किया।”
उन्होंने आगे कहा कि अगर सचमुच सरकार को मानवाधिकारों की परवाह है, तो उसे सिर्फ़ बयानबाज़ी से आगे बढ़कर ठोस कदम उठाने होंगे।
गौरतलब है कि उमर अब्दुल्ला ने पहले कहा था कि राज्य का दर्जा बहाल किए बिना PSA को हटाया नहीं जा सकता। उन्होंने कहा था कि उनकी पार्टी ने अपने घोषणापत्र में इस कानून को ख़त्म करने का वादा किया है, लेकिन इसके लिए राज्य का दर्जा ज़रूरी है। उन्होंने यह भी कहा कि सुरक्षा, क़ानून और व्यवस्था जैसी चीज़ें एक चुनी हुई सरकार के नियंत्रण में होनी चाहिए। ज्ञात रहे कि PSA के तहत किसी आरोपी को बिना मुकदमा चलाए दो साल तक जेल में रखा जा सकता है।

