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हिजाब विवाद पर कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे ओवैसी

हिजाब विवाद पर कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे ओवैसी

एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने हिजाब मामले में कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले पर असहमति ज़ाहिर करते हुए कहा कि हम संविधान की बात कर रहे हैं।

हिजाब विवाद पर कर्नाटक हाई कोर्ट ने आखिरकार मंगलवार को अपना फैसला सुना दिया है। इस फैसले के बाद तमाम राजनेताओं ने बयान देना शुरू कर दिये हैं। कुछ इस फैसले का स्वागत किया और अपनी सहमति जताई हैं तो कुछ लोगों ने इसपर असहमति व्यक्त की है । इस मामले में एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि वह कोर्ट के इस फैसले से बिलकुल खुश नहीं हैं और हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।

उनसे एक टीवी चैनल के माध्यम से सवाल पूछे जाने पर कि सुप्रीम कोर्ट से भी अगर यही फैसला आया तो क्या आप मानेंगे? क्योंकि इससे पहले आप तीन तलाक और अयोध्या मामले पर भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ थे? इस पर उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि कौन सा गुनाह किया? यह पीछे संसद की बिल्डिंग है जिसने संविधान बनाया है और संविधान में मूल संरचना है। क्या अहसमत होना कयामत है ?आपको क्यों तकलीफ हो रही ? हम अपनी असहमति ज़ाहिर करेंगे।

उनसे आगे सवाल गया कि क्या कोई ऐसा तंत्र है जहां आपको लगता है कि ये फैसला अगर आया है तो हम इसे मानेंगे? हो सकता है कि वो फैसला सही हो लेकिन आपकी राजनीतिक विचारधारा के खिलाफ हो? इस सवाल के जवाब में ओवैसी ने कहा कि नहीं यह राजनीतिक नहीं है बल्कि हम संविधान की बात कर रहे हैं। हम आपको संविधान का हवाला दे रहे हैं। हम कह रहे हैं कि धर्म की स्वतंत्रता, संस्कृति की स्वतंत्रता , विचारों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, ये हमारे मौलिक अधिकार हैं।

इससे पहले असदुद्दीन ओवैसी ने से ट्वीट करते हुए कहा कि मैं हिजाब पर कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले से असहमत हूं। फैसले से असहमत होना मेरा अधिकार है और मुझे उम्मीद है कि याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपील करेंगे। मुझे यह भी उम्मीद है कि अन्य धार्मिक समूहों के संगठन भी इस फैसले के खिलाफ अपील करेंगे। याद रहे कि कर्नाटक कोर्ट ने कक्षा में हिजाब पहनने की अनुमति देने का अनुरोध करने वाली याचिकाओं को भी खारिज कर दिया है।

हिजाब विवाद पर हाई कोर्ट के तीन न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि स्कूल की वर्दी का नियम एक उचित पाबंदी है और संवैधानिक रूप से स्वीकृत है जिस पर छात्राऔ को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। फैसले में कहा गया है हमारी राय के अनुसार मुस्लिम महिलाओं का हिजाब पहनना इस्लाम धर्म में आवश्यक धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं है। 5 फरवरी 2022 के सरकारी आदेश को जारी करने का अधिकार है और इसे अवैध ठहराने का कोई मामला नहीं बनता है।

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