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एकमात्र प्राथमिकता हमारा देश हमारे देशवासी: राहुल गांधी

एकमात्र प्राथमिकता हमारा देश हमारे देशवासी: राहुल गांधी

न जाने किसकी इस चमन को नज़र लग गई, कोरोना ने तो जनता को बेहाल किया ही लेकिन सरकार ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी, जनता उम्मीद लगाए तो किस से लगाए।

एक के बाद एक प्रहार होने से जनता टूट चुकी है, हद तो यह है कि सरकार बात सुनने को तैयार नहीं है, न ग़रीबों की बात न किसानों की बात न छोटे व्यापरियों की बात, क्या केवल अपने मन की बात करने से प्रधानसेवक होने की ज़िम्मेदारी पूरी हो जाएगी?

कांग्रेस पार्टी ने अपनी सरकार में ख़राब काम किया तो जनता ने आपको सत्ता में इस उम्मीद से बिठाया कि अच्छे दिन आएंगे, लेकिन 5 साल आपने यह कह कर गुज़ार दिए कि ख़राबी पिछले काफ़ी साल की है इसलिए समय लगेगा जनता ने दोबारा सत्ता में बिठा दिया, लेकिन जनता को मिला क्या? फ़र्जी योजनाएं और झूठे वादे?!!

फिर Covid-19 महामारी में जनता ने सरकार से उम्मीद लगाई, लेकिन ऑक्सीजन के लिए भटकते रहे, अस्पतालों में वेंटिलेटर के लिए दुहाई देनी पड़ी फिर भी वेंटिलेटर बेड नहीं मिलने से हज़ारों की तादाद में जान गंवा बैठे, कोविड की मार अभी जनता भूल भी नहीं पाई थी कि बे रोज़गारी से परेशान युवाओं की पीड़ा ने विदेशी जनता तक को हिला दिया लेकिन नहीं असर हुआ तो अपने देश की सरकार पर।

एक तो रोज़गार हाथ से चला गया ऊपर से महंगाई, सोचिए मध्य वर्ग की जब भूखे रहने की स्थिति बन गई तो ग़रीब और मज़दूर जनता का क्या हाल होगा, इन सबके बावजूद मिला क्या जनता को?! एक परिवार को 2 किलो चावल 3 किलो गेहूं वह भी एक महीने के लिए!!

किसानों की समस्याओं पर विदेशी सेलिब्रेटी समेत देश के विपक्ष ने कोई कसर नहीं छोड़ी लेकिन प्रधानमंत्री पर अभी तक कोई असर नहीं पड़ा, और दिल दुखा देने वाली बात यह कि अपने हक़ की मांग करने वाले इन किसानों को BJP के मंत्रियों और नेताओं ने कभी आतंकवादी और कभी खालिस्तानी कह कर संबोधित किया, हद तो तब हो गई जब प्रधानमंत्री ने आंदोलनजीवी कह कर संबोधित किया।

इन सभी मुद्दों को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कभी तंज़ तो कभी सुझाव की शक्ल में कहा भी लेकिन असर कुछ नहीं दिखाई दिया, आज फिर राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए कहा कि एकमात्र प्राथमिकता, हमारा देश और हमारे देशवासी…., यानी सबसे बढ़ कर हमारे लिए देश और देशवासी होने चाहिए।

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