‘ऑपरेशन सिंदूर’ को एनसीईआरटी के सिलेबस में शामिल किया जाएगा: शिक्षा मंत्रालय
ऑपरेशन सिंदूर, मिशन लाइफ और भारत के अंतरिक्ष अभियानों जैसे चंद्रयान, आदित्य एल-1 और हाल ही में इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन मिशन में शुभांशु शुक्ल की भागीदारी, जल्द ही एनसीईआरटी के शैक्षणिक पाठ्यक्रम का हिस्सा होंगे। यह जानकारी शिक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने दी है।
सूत्रों के अनुसार, फिलहाल दो शैक्षणिक मॉड्यूल तैयार किए जा रहे हैं— पहला मॉड्यूल कक्षा 3 से 8 तक के छात्रों के लिए और दूसरा कक्षा 9 से 12 के छात्रों के लिए बनाया जा रहा है। हर मॉड्यूल लगभग 8 से 10 पन्नों का होगा और भारत की रक्षा और रणनीतिक यात्रा के अहम पड़ावों को उजागर करेगा, खासकर इस बात पर रोशनी डालेगा कि ऑपरेशन सिंदूर किस तरह पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में अंजाम दिया गया।
शिक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इसका उद्देश्य युवा दिमागों को भारत की सैन्य शक्ति, आत्मनिर्भरता की रक्षा के लिए लिए गए निर्णायक कदमों, और राष्ट्रीय सुरक्षा में मंत्रालयों के बीच तालमेल, कूटनीति और रक्षा की भूमिका से अवगत कराना है। हालांकि ऑपरेशन की तमाम जानकारियां गोपनीय ही रखी जाएंगी, लेकिन ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को भारत की रणनीतिक शक्ति को समझाने के लिए एक अहम केस स्टडी के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा।
सूत्रों के मुताबिक, भारत-विभाजन की त्रासदी पर भी एक मॉड्यूल शामिल किया जाएगा, जो छात्रों को आज़ादी के समय हुई घटनाओं और उसके बाद देश द्वारा दिखाई गई संयम और संघर्ष की ऐतिहासिक झलक देगा।
मॉड्यूल्स में भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की सफलताओं को भी प्रमुखता से शामिल किया जाएगा, जिनमें चंद्रयान, आदित्य एल-1 और भारतीय वायुसेना के पायलट शुभांशु शुक्ल द्वारा एक्सिओम मिशन-4 के ज़रिए आईएसएस तक पहुंच शामिल है। इन पाठों का मकसद छात्रों में विज्ञान के प्रति रुचि और जिज्ञासा को बढ़ाना है।
सैन्य उपलब्धियों के अलावा, मॉड्यूल्स में मिशन लाइफ की जानकारी भी दी जाएगी, जो पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की एक अहम पहल है। छात्रों को बताया जाएगा कि यह मिशन पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने और जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए क्यों जरूरी है।
शिक्षा मंत्रालय के अधिकारी ने आगे कहा: इन मॉड्यूल्स का उद्देश्य छात्रों को भारत की समग्र प्रगति— रक्षा से लेकर कूटनीति तक, सतत विकास से लेकर अंतरिक्ष अनुसंधान तक— का एक समेकित दृष्टिकोण देना है। हालांकि मॉड्यूल्स की आधिकारिक लॉन्च डेट की घोषणा नहीं हुई है, लेकिन उम्मीद है कि इन्हें जल्द ही स्कूलों में लागू किया जाएगा।

