700 साल पुराने ‘गुमटी-ए-शेख अली’ मक़बरे पर क़ब्ज़ा ग़लत: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में डिफेंस कॉलोनी में मक़बरे (शेख अली की गुमती) पर RWA (रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिशन) के अवैध कब्जे के मामले पर कड़ी नाराजगी जताई। सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि यह संस्थान अपनी जिम्मेदारी निभाने में नाकामयाब रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, आपकी (आरडब्ल्यूए) इस मकबरे में दाखिल होने की हिम्मत कैसे हुई? कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की निष्क्रियता पर सवाल उठाए। सुप्रीम कोर्ट ने डिफेंस कॉलोनी वेलफेयर असोसिएशन से पूछा, “यह कैसे हो सकता है?”
आरडब्ल्यूए के वकील ने कहा कि हम वहां दशकों से थे. जस्टिस धूलिया ने कहा कि ये कैसा तर्क है? जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा कि इसकी मंजूरी नहीं दी जा सकती। इसके जवाब में वकील ने कहा कि हम नहीं होंगे तो असामाजिक तत्व वहां आएंगे। जस्टिस धूलिया ने कहा कि आप उन अंग्रेज शासकों की तरह बोल रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने RWA को फटकार लगाते हुए कहा, हाऊ डेयर यू, आप ऐसा कैसे कर सकते हैं।
इस केस में कोर्ट ने अगस्त में सीबीआई जांच का निर्देश दिया था। सीबीआई ने कोर्ट को रिपोर्ट सौंपी, रिपोर्ट को देखने के बाद जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने डिफेंस कॉलोनी वेलफेयर असोसिएशन (DCWA) को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि 15वीं सदी के इस ऐतिहासिक मकबरे को कार्यालय के रूप में इस्तेमाल करना न केवल गलत है, बल्कि यह संरचना के लिए भी हानिकारक है।
RWA ने इस कदम को सही ठहराते हुए कहा था कि अगर यह कब्जा नहीं होता तो यह ऐतिहासिक स्थल असामाजिक तत्वों के हाथों बर्बाद हो जाता। कोर्ट ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा, “आप लोग इस संरचना में कैसे घुसे? यह किस तरह के तर्क दे रहे हैं?” सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि यह संस्थान अपनी जिम्मेदारी निभाने में नाकामयाब रहा है। कोर्ट ने कहा, “आप लोग क्या कर रहे हो? तुमने तो अपनी जिम्मेदारी को नजरअंदाज किया है। हम बहुत परेशान हैं कि तुम्हारी निष्क्रियता के कारण यह ऐतिहासिक संरचना खतरे में पड़ गई।