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22 जनवरी के बाद से हमारी सरकार से कोई वार्ता नहीं हुई: राकेश टिकैत

नए  कृषि कानूनों (Farm Laws) का विरोध कर रहे किसानों के साथ सरकार ने आख़िरी बार 22 जनवरी को बैठक की उससे पहले भी किसानों और सरकार के बीच वार्ता के कई दौर चले लेकिन उन वार्ता से कोई समाधान नहीं निकला था

अब जब किसानों और सरकार के बीच हुई आख़िरी वार्ता के 77 दिन गुज़र गए हैं उसके बाद से दोनों के बीच कोई भी वार्ता नहीं हुई है तो किसान यूनियन आंदोलन को आगे बढ़ाने की योजना बना रहा हैं और सरकार आंदोलन को ख़त्म करने का इंतजार कर रही है।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि उनकी 22 जनवरी के बाद सरकार के साथ कोई बातचीत नहीं हुई है।

किसान नेता का कहना है कि फिलहाल वो पूरे देश को इन घातक कृषि कानूनों से अवगत कराने में व्यस्त हैं। अब ये अनंदोलन अब पूरे देश में फैल रहा है और केवल एक या दो राज्यों तक सीमित नहीं है। सरकार को चुनावी रैलियों और बैठकों व्यस्त रहने दें हम आंदोलन को लम्बा चलने की योजना बना रहे हैं

टिकैत ने कहा: “सरकार चाहती है कि हमरा आंदोलन हिंसक हो जाए। ताकि हमारे खिलाफ गलत प्रोपेगंडा किया जा सके लेकिन हम सभी किसानों से से शांति बनाए रखने की अपील कर रहे हैं। ”

एसकेएम के समन्वयक डॉ दर्शन पाल का कहना है “अब हम आने वाले महीनों के लिए दिल्ली की सीमाओं पर मोर्चा कैसे जारी रखें, इसकी योजना तैयार कर रहे हैं। गेहूं उगाने वाले राज्यों में गेहूं की कटाई चल रही है,बाक़ी हमने सभी किसानों से आंदोलन में शामिल रहने के लिए कहा है। उन्होंने कहा कि सरकार जानबूझकर हमसे बात करने में देरी कर रही है, जिससे किसान नाराज हो रहे हैं लेकिन हमारा आंदोलन पुरे देश में तेजी से फैल रहा है। आने वाले दिन गर्मी के हैं इस लिए किसानों द्वारा ठहरने के लिए भी इंतज़ाम किया जा रहा है। हम अलग-अलग राज्यों में कई बैठकें कर रहे हैं मई में एक संसद मार्च एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम है जिसके लिए हमें एक सटीक तारीख तय करना बाकी है।”

हरियाणा बीकेयू के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चादुनी ने कहा: ” हरियाणा में बीजेपी किसानों को हिंसक बनाने के लिए उकसाने की कोशिश कर रही है। हमारा उद्देश्य भाजपा-जेजेपी नेताओं के खिलाफ शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करना है, किसानों से निरंतर हमारी शांति की अपील की जा रही है। उन्होंने कहा कि मैं देश के विभिन्न हिस्सों में रैलियां कर रहा हूं। अगर वे चाहें तो मुझे गिरफ्तार कर सकते हैं, लेकिन यह मुझे इन काले कानूनों के बारे में लोगों को बताने से नहीं रोक सकेंगे।”

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