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अजमेर शरीफ़ दरगाह पर कोई भी दावा साबित नहीं होगा: सैयद जैनुल आबेदीन

अजमेर शरीफ़ दरगाह’ पर कोई भी दावा साबित नहीं होगा: सैयद जैनुल आबेदीन

दुनिया भर में प्रसिद्ध सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती अजमेरी की दरगाह में शिव मंदिर होने के दावे से एक तरफ जहां ख्वाजा साहब के अनुयायियों में गहरी नाराजगी और आक्रोश है, वहीं राजनीतिक स्तर पर भी इस मुद्दे पर सभी नेता एकजुट हो गए हैं और इस तरह की कोशिशों की कड़ी निंदा कर रहे हैं।

इसी बीच दरगाह के दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली चिश्ती ने हिंदू सेना के अध्यक्ष के दावे और अदालत में दाखिल याचिका को पूरी तरह खारिज करते हुए इसे बेबुनियाद, तथ्यों और ऐतिहासिक साक्ष्यों के बिल्कुल विपरीत बताया। उन्होंने कहा कि यह ऐसा दावा है, जिसका इतिहास में भी कोई उल्लेख नहीं मिलता, क्योंकि ख्वाजा साहब की दरगाह पिछले 800 साल से अधिक समय से अस्तित्व में है। इस दौरान कभी किसी ने ऐसा दावा करने की हिम्मत नहीं की, लेकिन अब साम्प्रदायिक तत्वों की हिम्मत बढ़ गई है।

यह साफ है कि ख्वाजा अजमेरी की दरगाह में न केवल मंदिर होने का दावा किया गया है, बल्कि इस संबंध में स्थानीय अदालत में एक याचिका दाखिल की गई है, जिसे आश्चर्यजनक रूप से स्थानीय अदालत ने सुनवाई के लिए स्वीकार भी कर लिया है और पक्षकारों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

इस याचिका में हरोलास शारदा की किताब का हवाला देते हुए दावा किया गया है। हालांकि, अदालत ने इस पर विचार नहीं किया कि इसमें कितनी सच्चाई है, लेकिन नोटिस जारी कर दिया गया है। इसकी वजह से पूरे देश के मुसलमानों और ख्वाजा साहब के अन्य धर्मों के अनुयायियों में चिंता और आक्रोश की लहर दौड़ गई है। अदालत के इस रवैये और हिंदू सेना की इस हरकत की निंदा की जा रही है।

दरगाह के दीवान जैनुल आबेदीन का बयान
दरगाह के दीवान जैनुल आबेदीन ने कहा कि, यह दावा एक आपराधिक साजिश है। इसका मकसद देश के साम्प्रदायिक माहौल को खराब करना और करोड़ों अनुयायियों की भावनाओं को ठेस पहुंचाना है। उन्होंने भारत सरकार और सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में हस्तक्षेप करने और देश में शांति और स्थिरता बनाए रखने की अपील की।

दीवान ने हरोलास शारदा की किताब का हवाला देते हुए कहा कि इस किताब में कोई ठोस बात या तर्क पेश नहीं किया गया है, केवल “ऐसा कहा जाता है” लिखा गया है। लेकिन कोई साक्ष्य नहीं दिया गया है। इससे स्पष्ट होता है कि लेखक ने भी सुनी-सुनाई बातों पर भरोसा किया और उसे बिना सोचे-समझे दर्ज कर दिया। इसे कैसे आधार माना जा सकता है?

मंदिर के दावे को खारिज किया
दीवान ने एक महत्वपूर्ण कारण बताते हुए कहा कि मंदिर होने के दावे में इसीलिए कोई सच्चाई नहीं है, क्योंकि ख्वाजा साहब का मजार लगभग 150 साल तक कच्चा था और वहां मैदान हुआ करता था। इसलिए इसके नीचे मंदिर होने की संभावना बिल्कुल नहीं है। उन्होंने कहा कि हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने मंदिर होने का जो शगूफा छोड़ा है और अदालत का रुख किया है, उनका मकसद केवल विवाद खड़ा करना और किसी न किसी तरह सस्ती लोकप्रियता हासिल कर सुर्खियों में बने रहना है। इसीलिए उनके इरादों की भी जांच होनी चाहिए।

अंत में दीवान साहब ने कहा कि यह आश्चर्यजनक है कि ख्वाजा गरीब नवाज की वंश परंपरा से संबंधित किसी व्यक्ति को भी इस मामले में पक्षकार नहीं बनाया गया है। हालांकि अदालत की ओर से पक्षकारों को नोटिस जारी करने का आदेश दिया गया है, फिर भी माहौल बिगाड़ने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि ऐसी साजिशों से सतर्क रहने की जरूरत है।

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