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नीति आयोग की बैठक आज, ममता ने उपयोगिता को चुनौती दी

नीति आयोग की बैठक आज, ममता ने उपयोगिता को चुनौती दी

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री मोदी को अपनी सरकार के तीसरे कार्यकाल में संसद की तरह नीति आयोग की पहली ही बैठक में भी विपक्ष के कड़े तेवरों का सामना करना पड़ेगा। बैठक से एक दिन पहले बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नीति आयोग की उपयोगिता पर ही सवाल उठा दिया और योजना आयोग को बहाल करने की मांग की। इसके साथ ही उन्होंने ‘इंडिया’ गठबंधन के अन्य मुख्यमंत्रियों के विपरीत शुक्रवार की बैठक में यह कहते हुए शामिल होने की घोषणा की कि वह इसमें शामिल होकर सरकार के पक्षपाती बजट के खिलाफ आवाज उठाएंगी।

योजना आयोग की बहाली की मांग
ममता बनर्जी ने शुक्रवार को मीडिया के साथ बातचीत के दौरान नीति आयोग को ‘बेसहारा संस्था’ करार देते हुए कहा कि यह ‘सिर्फ बैठकों के लिए’ है। इसके साथ ही उन्होंने योजना आयोग की उपयोगिता का हवाला दिया और इसे वापस लाने की मांग की। याद रहे कि प्रधानमंत्री मोदी ने 2014 में केंद्र में सत्ता की बागडोर संभालते ही दशकों से सक्रिय योजना आयोग को खत्म कर दिया था और उसकी जगह नीति आयोग बनाया था।

इसे बिल्कुल बेकार करार देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, “जब से नीति आयोग बना है, मैंने (इसके द्वारा) एक भी काम होते हुए नहीं देखा है। इसलिए कि इसके पास कोई अधिकार ही नहीं है। पहले योजना आयोग हुआ करता था। बतौर मुख्यमंत्री… मैंने उस समय देखा है कि बाकायदा एक व्यवस्था हुआ करती थी।” उन्होंने याद दिलाया कि योजना आयोग में राज्य सरकारों को अपने मुद्दे उठाने का अधिकार था और वह विभिन्न मोर्चों पर राज्यों का अच्छी तरह से ध्यान रखता था। इसका तुलना नीति आयोग से करते हुए ममता बनर्जी ने कहा, “अब तो न कोई उम्मीद है और न ही (नीति आयोग से) कुछ हो सकता है। मैं मांग करूंगी कि नीति आयोग को बंद करो, आर्थिक मामलों पर इसका कोई असर नहीं है। नीति आयोग में कुछ हो ही नहीं सकता, सिर्फ साल में एक बार चेहरा दिखाने के लिए बैठक होती है।”

योजना आयोग नेताजी के योजना का हिस्सा था
ममता बनर्जी ने योजना आयोग के संबंध में दावा किया कि वह नेताजी सुभाष चंद्र बोस के योजना का हिस्सा था। उनके अनुसार, “यह नेताजी का योजना था और आजादी के बाद से इसने देश के लिए बहुत काम किया है।” स्पष्ट रहे कि शुक्रवार को प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में होने वाली नीति आयोग की बैठक में 2047 तक भारत को विकसित देश बनाने की योजनाओं पर विचार किया जाएगा।

ममता बनर्जी और हेमंत सोरेन की भागीदारी
बजट में सभी राज्यों को नजरअंदाज करने और सिर्फ आंध्र और बिहार को नवाजने के खिलाफ विरोधस्वरूप ‘इंडिया’ गठबंधन के मुख्यमंत्रियों ने नीति आयोग के बहिष्कार की घोषणा की है, हालांकि ममता बनर्जी और हेमंत सोरेन ने भागीदारी का ऐलान किया है। ममता बनर्जी, जिन्होंने अपने भतीजे अभिषेक बनर्जी के साथ शुक्रवार की शाम मीडिया से बातचीत की, ने नीति आयोग की बैठक में भागीदारी का कारण बताते हुए कहा, “मैं जानती हूं कि नीति आयोग के पास कोई अधिकार नहीं है, मगर मैंने सोचा कि यह मेरी जिम्मेदारी है कि एक साझा मंच पर आवाज उठाऊं।” बंगाल की मुख्यमंत्री ने बजट में बिहार और आंध्र को नवाजने पर कहा, “अगर आप अपने दोस्तों को स्पेशल पैकेज देना चाहते हैं तो दें, इसमें कोई समस्या नहीं है, मगर आप अन्य राज्यों के साथ भेदभाव नहीं कर सकते, न ही उन्हें वंचित कर सकते हैं।” ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि “बजट ने दिखा दिया है कि बीजेपी सिर्फ उनके साथ है जो उसकी समर्थन करते हैं।”

तमिलनाडु में बैठक के खिलाफ विरोध
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने नीति आयोग की बैठक में विरोधस्वरूप भागीदारी न करने के निर्णय के बाद घोषणा की है कि उनकी पार्टी शनिवार को राज्य भर में केंद्र की ‘धोखाधड़ी’ के खिलाफ विरोध करेगी। डीएमके, तमिलनाडु के सभी जिलों में जिला कलेक्टर के कार्यालय के बाहर प्रदर्शन करेगी, जिसकी नेतृत्व सांसद और विधायक करेंगे। एम के स्टालिन के अलावा कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन, अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने नीति आयोग की बैठक के बहिष्कार की घोषणा की है।

नीति आयोग की 9वीं गवर्निंग काउंसिल बैठक
शनिवार को प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग की 9वीं गवर्निंग काउंसिल बैठक में, जिसका मुख्य विषय ‘2047 तक विकसित भारत’ है, बीजेपी शासित सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने भागीदारी का ऐलान किया है। इसके अलावा आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्र बाबू नायडू और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी बैठक में शामिल रहेंगे, जिनकी राज्यों को बजट में खासी तरजीह दी गई है।

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