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मेरी गिरफ़्तारी की ख़बरें भ्रामक हैं, मैं गाज़ीपुर बॉर्डर पर हूं: राकेश टिकैत

मेरी गिरफ़्तारी की ख़बरें भ्रामक हैं, मैं गाज़ीपुर बॉर्डर पर हूं: राकेश टिकैत

देश में इस समय कोई भी किसान आंदोलन से अनजान नहीं है, देश की सभी राजनीतिक पार्टियां, देश के सभी बड़े छोटे नेता, सारे सोशल वर्कर्स, अलग अलग इंडस्ट्री से जुड़े लोग, व्यापारी, सरहद पर मौजूद जवान यहां तक कि विदेश की मीडिया तक में किसान आंदोलन का चर्चा है।

यूं तो किसानों की आवाज़ सभी ने सुनी, लेकिन जिसे सुनना चाहिए था उसने अभी तक शायद नहीं सुना, इतनी चर्चाओं के बावजूद किसानों को अभी तक उनकी मांगों का जवाब नहीं मिला, किसानों को लेकर सरकार का रवैया हर किसी की समझ से बाहर है।

कई बार सुनने में आया नेता, मंत्री यहां तक कि प्रधानमंत्री बात करने वाले हैं लेकिन आज सात महीने पूरे होने के बावजूद किसान आंदोलन पर बैठा हुआ है, जिसका मतलब यह है कि सरकार ने अभी तक किसानों की बात नहीं सुनी है।

आख़िर ऐसा कौन सा सरकार का नुक़सान है जिसकी वजह से तीनों कृषि बिल को लेकर सरकार अपने रवैये पर अड़ी हुई है? आख़िर किसानों ने कौन सा देश विरोधी काम कर डाला जिसके कारण सरकार उनकी बात सुनने अभी तक नहीं पहुंची? जबकि किसान नेता राकेश टिकैत ने साफ़ साफ़ कहा कि सरकार द्वारा लाए गए तीनों कृषि बिल का मतलब रोटी का मॉल में बिकना तिजोरियों में बंद होना है और देश का अन्नदाता इसी बात का विरोध कर रहा है।

किसान आंदोलन को लेकर पिछले 7 महीनों में कई अफ़वाहें सामने आई हैं, कई बार अपनी ज़िम्मेदारी पूरी न करने वाली मीडिया ने किसानों को ही कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की है लेकिन देश के किसान को देश की जनता का समर्थन हासिल है जिसकी वजह से वह पिछले 7 महीनों से अपनी मांगें लेकर डटे हुए हैं।

किसान आंदोलन से संबंधित अफ़वाह यह भी फैलाई गई कि किसान नेता राकेश टिकैत को पुलिस ने गिरफ़्तार कर लिया है इसी अफ़वाह को नकारते हुए राकेश टिकैत ने आज ट्वीट करते हुए कहा कि मेरी गिरफ़्तारी की ख़बरें भ्रामक हैं, मैं गाज़ीपुर बॉर्डर पर हूं, सब सामान्य हसि।

ध्यान देने वाली बात यह है कि राकेश टिकैत केवल इस आंदोलन की अगुवाई ही नहीं कर रहे बल्कि ख़ुद आंदोलन का हिस्सा बन कर बॉर्डर पर उपस्थित रहते हैं।

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