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मोदी सरकार के जल्द गिरने की खबर केवल अफवाह: नितिन गडकरी

मोदी सरकार के जल्द गिरने की खबर केवल अफवाह: नितिन गडकरी

महाराष्ट्र: अपने बयानों से राजनीतिक हलकों में हलचल मचाने के लिए मशहूर केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी का कहना है कि केंद्र में बीजेपी सरकार के जल्द गिरने की खबरें सुनने के वे आदी हो गए हैं, लेकिन उनकी सरकार को कोई खतरा नहीं है। बल्कि उनकी पार्टी के प्रति जनता और नेताओं दोनों वर्गों में विश्वास बढ़ा है और उनके समर्थन में इजाफा हुआ है।

ध्यान रहे कि महाराष्ट्र में महायुती सरकार की गिरती छवि को सुधारने और विधानसभा चुनाव में जनता को फिर से बीजेपी की ओर आकर्षित करने के उद्देश्य से केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, जो नागपुर से हैं, को महाराष्ट्र की ज़िम्मेदारी सौंपने की बात हो रही है। इसी दौरान मीडिया में गडकरी के कई बयान आए हैं। सोमवार को उन्होंने ‘इंडियन एक्सप्रेस’ को एक इंटरव्यू दिया जिसमें उन्होंने विश्वास जताया कि केंद्र में मोदी सरकार को कोई खतरा नहीं है। सरकार के जल्द गिरने की खबर महज एक अफवाह है।

लोकसभा चुनाव में बीजेपी के खराब प्रदर्शन के सवाल पर गडकरी ने कहा, “दरअसल, विपक्ष ने जनता में यह भ्रम फैलाया था कि बीजेपी बाबा साहब अंबेडकर के खिलाफ है और वह उनके द्वारा तैयार किए गए संविधान को बदलना चाहती है। इस वजह से जनता असमंजस में थी। पिछड़े वर्गों में यह गलतफहमी फैलाई गई कि उन्हें मिलने वाला आरक्षण और अन्य सुविधाएं खत्म हो जाएंगी।”

गडकरी का कहना है कि “इसके बावजूद, मैं समझता हूं कि लोकसभा चुनाव में भारत की जीत हुई है क्योंकि बीजेपी सत्ता में वापस आ गई है और मुझे 100% यकीन है कि आगामी चार राज्यों के चुनावों में भी उसे जीत मिलेगी।”

बीजेपी सत्ता में तो आ गई लेकिन उसे यह चिंता है कि वह अपनी 5 साल की अवधि पूरी नहीं कर पाएगी। इस सवाल पर नितिन गडकरी ने कहा, “हम अक्सर इस सवाल का सामना करते रहते हैं। यह कल्पना बनाम हकीकत और हकीकत बनाम अफवाह जैसा सवाल है। हमें ऐसे सवालों की आदत पड़ चुकी है। सच्चाई यह है कि लोग अब भी हम पर भरोसा करते हैं, चाहे वह जनता हो या नेता।” गडकरी ने कहा, “कोई भी हर मैच में शतक नहीं मार सकता, लेकिन हमें जनता का समर्थन प्राप्त है और हम देश को बेहतर बना रहे हैं।”

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए नितिन गडकरी को जिम्मेदारियां देने की बात हो रही है, लेकिन कहा जा रहा है कि वह इसे स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं। इंटरव्यू के दौरान गडकरी ने कहा कि “ऐसी कोई बात नहीं है, बल्कि पार्टी मुझे जो भी जिम्मेदारी सौंपेगी, मैं उसे खुशी-खुशी स्वीकार करूंगा। लोकसभा चुनाव में भी मैंने 55 सीटों का दौरा किया था और वहां रैलियां की थीं।”

ध्यान रहे कि बीजेपी की छवि ऐसी है कि वह संसद में विपक्ष की आवाज दबाने की कोशिश करती है। लेकिन नितिन गडकरी का मामला ऐसा नहीं है। उनके विपक्ष से अच्छे संबंध हैं। हाल ही में उन्होंने बयान दिया था कि एक विपक्षी नेता ने उनसे कहा था कि अगर आप प्रधानमंत्री बनते हैं तो हम आपका समर्थन करेंगे। इस पर गडकरी ने उस नेता से कहा था, “मैं आपका समर्थन क्यों प्राप्त करूं? मेरा उद्देश्य प्रधानमंत्री बनना नहीं है। मेरे विचार ही मेरा उद्देश्य हैं और मैं उसी के लिए काम करता हूं। आगे भी करता रहूंगा।”

तो क्या नितिन गडकरी विपक्ष की अहमियत को स्वीकार करते हैं? केंद्रीय मंत्री ने इस सवाल के जवाब में कहा, “हमारा देश दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। प्रधानमंत्री इसे लोकतंत्र की जननी कहते हैं। लोकतंत्र के चार स्तंभ होते हैं- विधायिका, न्यायपालिका, कार्यपालिका और पत्रकारिता। और लोकतंत्र में एक सत्ताधारी पार्टी होती है और एक विपक्ष होता है। एक कार या ट्रेन की तरह इन चार पहियों का संतुलित होना जरूरी है। हम पहले विपक्ष में थे और अब सत्ता में हैं। हमने इस सिद्धांत का हमेशा पालन किया है।”

हाल ही में जेपी नड्डा ने बयान दिया था कि अब बीजेपी काफी मजबूत हो चुकी है और उसे आरएसएस की मदद की जरूरत नहीं है। नितिन गडकरी ने इस सवाल को यह कहकर टाल दिया कि “आप इस मामले में सब कुछ जानते हैं, इसलिए मुझे इस पर कोई टिप्पणी करने की जरूरत नहीं है।”

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