भारत के आज़ाद होने से पहले बना दी थी नेताजी ने सरकार प्रधानमंत्री को जानिए

भारत के आज़ाद होने से पहले बना दी थी नेताजी ने सरकार प्रधानमंत्री को जानिए 21 अक्टूबर की तारीख इतिहास की कई घटनाओं को अपने दामन में समेटे है। ऐसी ही एक घटना भारत और नेता जी सुभाषचंद्र बोस से जुडी हुई है।

भारत के आज़ाद होने से पहले ही आज की तारीख में नेताजी ने देश की सरकार का गठन किया था। नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने आज ही के दिन 1943 में आजाद हिंद फौज के सर्वोच्च सेनापति के रूप में भारत की पहली वैकल्पिक सरकार बनाई थी और उसे “आरज़ी हुकूमत आज़ाद ए हिंद” का नाम दिया था।

भारत पर ब्रिटिश राज के होते हुए ही आजाद भारत की अस्थायी सरकार का गठन करते हुए प्रधानमंत्री पद से लेकर विदेश मंत्री एवं रक्षा मंत्री के पद पर भी नियुक्ति की गई थी। यह घटना अपने आप में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के साहस एवं पराक्रम को बताने के लिए काफी है।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस का विचार था कि भारत को अपनी आजादी के लिए विश्व युद्ध से लाभ उठाना चाहिए और अंग्रेजो के खिलाफ लड़ रहे देशों की मदद से देश से अंग्रेजों को मार भगाना चाहिए। सुभाष चंद्र बोस का मानना था कि भारत को ताकत के बल पर ही आजाद कराया जा सकता है और सशस्त्र संघर्ष ही एकमात्र उपाय है।

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कट्टरपंथी दल के नेता के रूप में वह 1920 और 1930 के दशक में सक्रिय रहे। 1938 1939 में कांग्रेस अध्यक्ष बनने की ओर थे लेकिन ज्यादा दिन तक कांग्रेस के अध्यक्ष भी नहीं रह सके। देश को सशस्त्र संघर्ष के माध्यम से आजादी दिलाने की अपनी मुहिम के लिए उन्होंने अलग-अलग देशों की यात्राएं की तथा द्वितीय विश्व युद्ध में अहम भूमिका भी निभाई।

जापान में आजाद हिंद फौज का पुनर्गठन करते हुए उन्होंने जापान के साथ मिलकर अस्थाई सरकार भी बनाई। सिंगापुर के कैथे सिनेमा हॉल में आज ही के दिन अर्थात 21 अक्टूबर 1943 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने आजाद हिंद सरकार का गठन किया था। दिलचस्प बात यह है कि नेता जी द्वारा गठित की गई आरजी हुकूमत आजाद हिंद को जर्मनी, जापान, कोरिया ,फिलीपींस और आयरलैंड समेत 11 देशों ने मान्यता दी थी। इस सरकार ने कई देशों में अपने दूतावास भी खोलें।

आरजी (अस्थाई) सरकार के गठन के साथ नेताजी ने आजाद हिंद फौज में भी नई जान फूंकते हुए उसका मुख्यालय सिंगापुर को ही बनाया। नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने भारत की आजादी के 4 वर्ष पहले ही अस्थाई सरकार का गठन करते हुए उसकी घोषणा कर दी थी जिसका भारत में भी बेहद असर पड़ा था।

इस अस्थाई सरकार में प्रधानमंत्री पद के साथ-साथ रक्षा मंत्रालय एवं विदेश मंत्रालय खुद सुभाष चंद्र बोस ने अपने पास रखा। कई रिपोर्ट की मानें तो इस सरकार में राष्ट्रपति और सेना अध्यक्ष भी वह खुद थे। इस के साथ ही सरकार में तीन अन्य मंत्री भी शामिल थे , साथ ही एक 16 सदस्य मंत्री स्तरीय कमेटी भी बनाई गई थी।

कैप्टन श्रीमती लक्ष्मी को महिला संगठन मंत्री, लेफ्टिनेंट कर्नल एसी चटर्जी को वित्त मंत्री और एस ए अय्यर को प्रचार एवं प्रसारण मंत्री का पदभार सौंपा गया था।

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