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मदरसों में गैर-मुस्लिम बच्चों की शिक्षा पर एनसीपीसीआर को आपत्ति

मदरसों में गैर-मुस्लिम बच्चों की शिक्षा पर एनसीपीसीआर को आपत्ति

लखनऊ: राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने उत्तर प्रदेश राज्य मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. इफ्तिखार अहमद जावेद के एक बयान पर कड़ा संज्ञान लिया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि गैर मुस्लिम छात्र भी मदरसों में पढ़ सकेंगे। उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक कल्याण आयोग एवं वक्फ विभाग के विशेष सचिव ने एक नोटिस में कहा है कि डॉ. इफ्तिखार अहमद जावेद ने अप्रासंगिक और विरोधाभासी बयान दिए हैं।

हम उत्तर प्रदेश राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष के बयान से पूरी तरह असहमत हैं ,जो न केवल बच्चों के संवैधानिक अधिकारों का हनन करता है बल्कि आयोग का भी अपमान करता है। आपसे अनुरोध है कि इस मामले में आई.टी.आई.डी. लेटर पैड पर कमीशन की सिफ़ारिश के अनुसार तुरंत कार्यवाई करें और इस पत्र की प्राप्ति के 03 दिनों के भीतर आयोग को रिपोर्ट प्रस्तुत की जा सकती है।

ग़ौरतलब है कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) की स्थापना मार्च 2007 में संसद के एक अधिनियम (दिसंबर 2005) के तहत बाल अधिकार संरक्षण अधिनियम 2005 के तहत की गई थी। आयोग का बनाने का मक़सद यह सुनिश्चित करना था कि सभी कानून, नीतियां, कार्यक्रम और प्रशासनिक प्रणालियां भारत के संविधान के साथ-साथ बाल अधिकारों के अनुरूप हों जैसा कि संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में निहित बाल अधिकारों को बयान किया गया है।

एक बच्चे को 0 से 18 वर्ष के आयु वर्ग में एक व्यक्ति के रूप में परिभाषित किया गया है। आयोग प्रत्येक क्षेत्र, राज्य, जिले की विशेषताओं और शक्तियों को ध्यान में रखते हुए एक अधिकार-आधारित दृष्टिकोण की परिकल्पना करता है, और व्याख्यात्मक सहित राष्ट्रीय नीतियों और कार्यक्रमों में शामिल करता है।

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