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अक्टूबर-नवंबर में देशव्यापी एसआईआर, राज्य अधिकारियों को तैयार रहने का निर्देश

अक्टूबर-नवंबर में देशव्यापी एसआईआर, राज्य अधिकारियों को तैयार रहने का निर्देश
भारत निर्वाचन आयोग ने अक्टूबर-नवंबर में देशव्यापी एसआईआर (मतदाता सूची की ‘विशेष व्यापक पुनरीक्षण’) का संकेत देते हुए राज्य निर्वाचन अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे 30 सितंबर तक अपनी-अपनी मतदाता सूचियों को तैयार रखें।याद रहे कि, हाल ही में राज्य मुख्य निर्वाचन अधिकारियों का सम्मेलन आयोजित हुआ था, जिसमें आयोग ने अधिकारियों से कहा था कि वे अगले 10 से 15 दिनों में एसआईआर की शुरुआत के लिए तैयार रहें।
आयोग ने कहा है कि राज्य मुख्य निर्वाचन अधिकारी वे मतदाता सूचियां तैयार रखें जो अंतिम एसआईआर के बाद प्रकाशित की गई थीं। कुछ राज्यों ने ये सूचियां अपनी वेबसाइटों पर पहले ही अपलोड कर दी हैं। दिल्ली के सीईओ ने 2008 की मतदाता सूची वेबसाइट पर डाली है, क्योंकि उस सूची पर अंतिम व्यापक पुनरीक्षण 2008 में हुआ था। इसी तरह उत्तराखंड ने 2006 की सूची जारी की है। जबकि बिहार के लिए कट-ऑफ वर्ष 2003 रखा गया था, जब वहां अंतिम एसआईआर हुआ था। अधिकांश राज्यों में अंतिम एसआईआर 2002 से 2004 के बीच हुआ था।
ऐसे समय में जब बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान पर विपक्ष ने कड़ा विरोध जताया है और इसे “वोट चोरी” की साज़िश बताया है, निर्वाचन आयोग का बिना किसी हिचकिचाहट के सभी राज्यों की मतदाता सूचियों पर पुनरीक्षण के लिए आगे बढ़ना महत्व रखता है। एसआईआर को सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती दी गई है, जिस पर अक्टूबर में अंतिम सुनवाई होनी है।
ऐसे समय में जबकि 2026 में असम, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होने हैं, देशव्यापी एसआईआर ने विपक्ष की शंकाओं को और गहरा कर दिया है। निर्वाचन आयोग के अनुसार इस विशेष पुनरीक्षण का मुख्य उद्देश्य विदेशी अवैध प्रवासियों को मतदाता सूची से हटाना है, जिसके लिए मतदाताओं के जन्मस्थान की जांच की जाएगी। पिछले एसआईआर के बाद जिन लोगों के नाम मतदाता सूची में शामिल हुए हैं, उन्हें इस बार अपनी और अपने माता-पिता की जन्मस्थल संबंधी प्रमाण प्रस्तुत करने पड़ सकते हैं।
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