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नेम प्लेट विवाद: कांग्रेस आलाकमान ने विक्रमादित्य सिंह से बयान पर “लिखित जवाब” मांगा

नेम प्लेट विवाद: कांग्रेस आलाकमान ने विक्रमादित्य सिंह से बयान पर “लिखित जवाब” मांगा

कांग्रेस आलाकमान ने शुक्रवार को राज्य के मंत्री विक्रमादित्य सिंह से उनके भोजनालयों पर नेमप्लेट बयान पर “लिखित जवाब” मांगा है। कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि कि वेणुगोपाल ने विक्रमादित्य सिंह से कहा कि उनके पास पार्टी की “नीतियों, विचारधारा और सिद्धांतों” के खिलाफ जाने का “कोई अधिकार” नहीं है। उनसे कहा गया कि उनकी टिप्पणियाँ “पूरी तरह अस्वीकार्य” हैं। सूत्रों ने कहा कि “वैसे भी… उन्हें एक कड़ा संदेश दे दिया गया है। उनसे लिखित जवाब देने को कहा गया है।’

विक्रमादित्य ने अपनी मां प्रतिभा वीरभद्र सिंह के साथ एआईसीसी महासचिव (संगठन) के सी वेणुगोपाल से मुलाकात की और अपना पक्ष रखा। सूत्रों के मुताबिक विक्रमादित्य ने वेणुगोपाल से कहा कि मीडिया ने उन्हें गलत तरीके से कोट किया है। इस पर मां-बेटे को साफ-साफ बता दिया गया कि “उन्हें पार्टी की विचारधारा का पालन करने के लिए कहा गया है… संदेश स्पष्ट है।”

पार्टी की नाराजगी इस बात पर ज्यादा है कि मां प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष है, जबकि बेटा मंत्री है और उसके पास महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी है। इसके बावजूद उसने कांग्रेस की धर्मनिरपेक्ष विचारधारा के खिलाफ बयान दिया। इससे जनता में कांग्रेस की छवि को लेकर गलत संदेश गया है। बता दें कि, मंत्री ने कहा था कि यह निर्णय लिया गया है कि राज्य में हर ढाबे, होटल, रेस्टोरेंट, फूड स्टाल मालिक को अपनी आईडी कार्ड प्रदर्शित करना होगा। इस पर कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने कड़ी आपत्ति जताई। विक्रमादित्य सिंह को बुलाया और उनसे कहा कि उनकी टिप्पणियाँ “अनुचित” और “अस्वीकार्य” हैं।

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में ऐसा आदेश जारी किया है। जिसकी आलोचना कांग्रेस ने खुलकर की है। राहुल गांधी समेत सभी बड़े नेताओं ने यूपी के नेमप्लेट आदेश के खिलाफ बयान दिये थे। अब उसी घोषणा को कांग्रेस शासित हिमाचल में कैसे लागू किया जा सकता है।

हिमाचल में सरकार और मंत्री विक्रमादित्य का नजरिया इस मुद्दे पर बिल्कुल अलग-अलग है। उनकी टिप्पणी से कांग्रेस को शर्मिंदा होना पड़ा। एआईसीसी के हस्तक्षेप के बाद, हिमाचल प्रदेश सरकार के एक प्रवक्ता ने बयान जारी कर कहा है कि “राज्य सरकार ने अपने स्टालों पर विक्रेताओं द्वारा नेमप्लेट या किसी अन्य प्रकार की पहचान के अनिवार्य प्रदर्शन के संबंध में कोई निर्णय नहीं लिया है।” यानी हिमाचल में किसी भी ढाबे, होटल, रेस्टोरेंट या फूड स्टाल वाले को अपनी नेमप्लेट लगाना कहीं से भी जरूरी नहीं है।

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